साम लगने लगी........49

 सूरज उग रहा है फिर भी साम लगने लगी।

नफ़रत इतनी की मोहब्बत हराम लगने लगी।

 

चाहत है चाहत थी बस चाहत रहने लगी।।
इतना है कि सांस भी दायरे में चलने लगी।

 

शीशे सी चमकती ये चैत की दोपहर भी
गांव से दूर मेरी मौत का इंतजार करने लगी।



वहाँ,भगवान नही था।...............48

 एक अर्से से मैं मंदिर नही गया 

पर जब गया तब वहाँ,भगवान नही था।

न चाहते भरोसा उस पर भी हो गया
क्योकिं मेरा दिल, कभी बेईमान नही था।

आखिरी बार का आदमी याद है मुझे
क्योकि उस आदमी में भी इंसान नही था।

पता नही अबकी ज्यादा तकलीफ हुई
इससे तो मुझे कोई ज्यादा अरमान नही था।

दोस्ती में मुझे सजाये मौत मिल गयी।
मैं सजा पाऊँ ये किसी का फ़रमान नही था

वही जो तमाम उम्र की दुआएं देता रहा
मेरी हत्या की साजिश से अनजान नही था।

शायरी -4..............47

1.. जब कस्में रिश्तों पर आकर ठहर जाती है।

तब ये मेरी बातें भी मुझसे मुकर जाती हैं।

रिश्तों के लिये मैं अपने वादों के खिलाफ गया हूँ।
सोचता कुछ और पर कुछ और ही कर गया हूँ।



2.उनसे मिलने की कोई खास उम्मीद थोड़ी है,
बस एक उम्मीद ही है जो मैंने नही छोड़ी है।


3.आग ऐसी की लोग शमन हो जाये जवानी में।
मैं शमन हूँ इस लिए मरना है अब कहानी में।


4.ये जो मैने किसी को समय दिया है।

हवा को निचोड़ कर पानी पिया है।

किसी को आधे पर छोड़ा!
तब जाके किसी को पूरा किया है।

फिर भी लोग नही समझेंगे कि
मैंने क्या क्या किया है।


5.हाँ ये सच है तुम जरूरत हो मेरी
हक नही तुम पर हकीकत हो मेरी 

जितना हो सके दूर चली जाओ मुझसे
इससे पहले की मुझे आदत हो तेरी


6.दो दिन की यारी, पर बरसो का यार हूँ,
तेरे जीने के लिए, मैं मरने को तैयार हूँ।

मैंने हाथ काट था पर बीमार नही हुआ,
वो तकलीफ में है इसलिए मैं बीमार हूँ।

7.तेरे इंतजार करने का इंतजार भी बरसों किया है मैंने।
आग जलाने के लिए आग तैयार भी बरसों किया है मैंने।

मेरी औकात और अपनी जात दिखाकर छोड़ा था मुझे,
अब मुझसे ही न कहो कि प्यार तुमसे ही किया है मैंने।


8.ये रात से सुबह तक का सफ़र
मैं कहने भी कहाँ जाऊ किधर

चाँद में सूरज की जैसी है तपन
चलो शमन छोड़ो एक ये भी शहर

9.तेरी मोहब्बत का सुक्रिया अदा करूँ,

जो कब और कब तक रही थी?

उसकी जुदाई की आग में बरसों जला हूँ,

वो सही भी थी कहाँ तक सही थी?


10.ख्वाब में न था उसको भी अपना ख्वाब कह गए
कुछ बातें हो गयी कि हम अपने आप रह गए


बीच मे हमको छोड़कर जाने वाले कहते हैं कि
वो अपना रुतबा भी इतना लाजबाब कर गए।


























धुंआ हो गयी...............46

 वो मुझसे मिली और धुंआ हो गयी

मैं आज भी आसमान को देखता रहता हूँ।

वो गलती जो मुझसे हुई ही नही थी
फिर भी मैं खुद को ही कोसता रहता हूँ।

मैं सच और वो झूठ की कसमें खाती गयी
मैं अब उन कसमों में भी सच्चाई ढूंढता रहता हूँ।

जीवन सच है। .....45

 जीवन सच है।


तो क्या मैं सच से अनजान हूँ?

कई लोगों को

हमारे प्रिय थे जो

अपनी आंखों के सामने

तड़पता हुआ

कुछ कहने की

अभिलाषा से

कुछ करने की आशा से

जीवन को दांव पर

लगाने के लिए मजबूr

उन्हें खोने का डर

लगा रहता है,

क्योंकि मैं खो खो कर परेशान हूँ।

क्या मेरी उत्पत्ति

डर डर कर जीने के लिए हुई है?

क्या मैं जो सोच रहा हूँ

वो गलत नही हो सकता?

हाँ मैं जो सोच रहा वही सही है।

इस लिए मैं असहाय हूँ।

अपने है जो

जिन्हें मैं अपना मानता हूं ।

उनके लिए मैं कुछ कर नही पाता हूं।

जीवन भर यही दुख रहेगा

क्या शमन जीवन भर असहाय रहेगा?

प्यार के नाम से परेशानी है, 8 ..44

 यहां प्यार से नही 

प्यार के नाम से परेशानी है,
तो छोड़ दूंगा झूठी-मूठी करके
जो सारी सच्ची कहानी हैं।

अगर दुनियां में लोग सिर्फ
प्यार ही करके ही बिगड़ते है।
तो अलग कर दो दुनिवां मेरी
क्योंकि मुझे भी वही अच्छे दिखते हैं

प्यार ही है,जहाँ"लोग,
सो कर भी जागते रहते है।
लोग तो आते-जाते है
प्यार में मर कर भी जिंदा रहते है।
यही झूठी मानो या सच्ची
जो सब एक दूजे से कहते रहते हैं।

झूठी मोहब्बत का इजहार भी आसान होता है। 43

 खुद में खुद से भी कितना झूठा इंसान होता है।

झूठी मोहब्बत का इजहार भी आसान होता है।

आवाज में कपकपी सी और टूटने का डर,'शमन
सच्ची मोहब्बत में ज्यादा ही परेशान होता है।

उसे सोच कर बड़ा बेचैन हो जाता हूँ मैं
पहचान नही उससे पर वही हमारी जान होता है।

दो रास्ते एक आदमी 41


 दो रास्ते एक आदमी


दोस्तों का प्यार, लोगों की कहानी,

सपने छोड़ दूँ, या अपने छोड़ दूँ?

सपनो के बिना जीना व्यर्थ लगता है,

अपनो के बिना जीवन व्यर्थ लगता है।

एक जिंदगी इतनी सी कहानी है,

जिंदगी जिंदा रह कर गुजारनी है।

हूँ अकेला, इतनी सारी हैरानी

दो रास्ते.....

जिंदगी में इतनी कमी है

कि कमी भी नही है।

इतना होना क्या सही है?

इतना होना तो सही भी नही है,

कि होने के नाम पर कुछ होना भी नही है,

जो होता है वो सही भी नही है

फिर भी है जिंदगी चलानी

दो रास्ते .......


चाँद सी उधार की चमक

तेरी कमी में भी तेरी ही महक

रास्तों में सूरज की तपन

आंखों में मंजिल का सपन, जो

किसी के जुल्फों के छाव के

क्या है जो शिर्फ़ नाम के

क्या उम्मीद है पूरे होने की

क्यों मैं अब भी

उन्ही जुल्फों में

साये ढूढता हूँ ।

लम्बे सफर में

आशा युक्त मानो भाव से आराम के।

मंजिल है अपने हैं

छोड़ने है वो सपने है

फिर भी क्या हूँ,

हूँ तो आदमी

हाँ हूँ में शिर्फ़ आदमी

मेरी है बस इतनी सी कहानी है।

कुछ किसी से कह दी है,

थोड़ी और कहनी है,

और ज्यादा किसी से कहनी भी नही है।

जिसके लिए कहता हूँ

बस उसकी ही कमी

दो रास्ते........





उसको भुला हूँ उसी की याद आती है 40

 भूला हूँ उसको उसी की याद आती है

नौ इंची चाहरदीवारी में जान जाती है।

उसे नही पता कि इंतजार रहता है।
गुस्से में उस पर ज्यादा प्यार रहता है।

रात के साये मुझे आजमाने निकले है
नही पता हमारे बाद ही जमाने निकले है

हूँ खुश की उसे नींद बहुत आती है।
इस लिए वो थोड़ा जल्दी सो जाती है

शायरी-3 38

 1.गलतियां करता नही हूँ हो जाती है।

कस्तियाँ किनारो में भी खो जाती है।

अन्दर से बहुत गहरा हूँ इसलिये
बाहर से थोड़ी शैतानियां भी हो जाती है


2.थोड़ा बिगड़ना भी तो हक हमारा था

मेरा हक छीन कर आपनों ने सुधारा था।

दुःख इस बात नही की सुधारा था

बात है कि बिगड़ने से पहले सुधारा था।



3.मेरे वाचाल को मेरी बगावत न समझो

मेरी गलती से गलती हो गयी है जो

इसे आखिरी समझने कोशिश न करना

और कई बार फिर से भी हो सकती है जो


4.याद करता हूँ इस लिए नींद नही आती है
की
नींद नही आती इसलिए याद करता हूँ



5. सच्ची मोहब्बत है या फिर फरेब वारी है।
नींद आने की उम्मीद में ,फिर एक रात गुजारी है।

6.पीता हूँ इस लिए नसा नही चढ़ता है।
मैं नसा चढ़ता है इस लिए पीता हूँ।




7.चाँद तो कई बार पूरा निकाला है,पर उससे ईद नही आती।

फ़ोटो देखा आवाज सुनी।पर बात हुए बिना नींद नही आती।




8.तुम्हे लगता है ये सब आसान बहुत है,

अब दिल को तोड़ देना आम बहुत है।

मेरा क्या मेरी तो आदत सी हो गयी है,

पर वो भी किसी के लिए परेशान बहुत है।


9.दिखावे में भी उसके,नजाकत बहुत है।
बातों में उसकी कुछ हकीकत बहुत है।

ऐ मुझे छुधा ग्रसित कहने वाले लोगों,
तुम में भी किसी और की लत बहुत है।




10.तुमने जितनी दुनियां देखी नहीं, उतनी जला दिया है हमने।

जितने को जानती हो तुम, उससे ज्यादा भुला दिया है मैने।




















वो भो बदल गए 39

 जीने के तरीके बदले,

बात करने के सलीक़े बदले

जितना कहा गया था मुझसे
उससे ज्यादा बेहतर बदले

हाथ की लकीरें अपनी बदलीं
कागज के लिखे बदले।

नहाने खाने का समय
दोस्तों से पुराने वादे बदले

किसी को देखने का तरीका
आंखों के नाजारे बदले

थोड़े से बहुत अजीजों को
थोड़े से अच्छे अपने बदले

रजाई कम्बल चादर बदली
तकिया के साथ सिराहाने बदले

सोने का बिस्तर बदला
प्यारे थे जो सपने बदले

तैरने का प्यारा तालाब
पैतृक नाव के ठिकाने बदले

पूजा की सामग्री के संग मंदिर
और भगवान बेचारे बदले


Bharosa nahi tha ham jinke liye badle
Vo bhi hame chhod kr itna badle