देहाती आदमी हूँ 'साहब............127



 

 देहाती आदमी हूँ 'साहब.......

 

न दब के रहता हूँ,
न दबा के रखता हूँ,
बात जो दिल में होती है,
मुँह पर कहता हूं,
जैसा बने चलो आप,
मैं अपने हिसाब से चलता हूँ,

 

देहाती आदमी हूँ 'साहब.......

 

थोड़ी सी कमी है,
जो ज्यादा सही है,
नई लीक बना सकता हूँ,
पर पुरानी भी गहरी नही है,
आदमी भी थोड़ा हटके होता है,
मन से नही मजबूरियों से चलता है,

                 देहाती आदमी हूँ 'साहब.........

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