दो रास्ते एक आदमी 41


 दो रास्ते एक आदमी


दोस्तों का प्यार, लोगों की कहानी,

सपने छोड़ दूँ, या अपने छोड़ दूँ?

सपनो के बिना जीना व्यर्थ लगता है,

अपनो के बिना जीवन व्यर्थ लगता है।

एक जिंदगी इतनी सी कहानी है,

जिंदगी जिंदा रह कर गुजारनी है।

हूँ अकेला, इतनी सारी हैरानी

दो रास्ते.....

जिंदगी में इतनी कमी है

कि कमी भी नही है।

इतना होना क्या सही है?

इतना होना तो सही भी नही है,

कि होने के नाम पर कुछ होना भी नही है,

जो होता है वो सही भी नही है

फिर भी है जिंदगी चलानी

दो रास्ते .......


चाँद सी उधार की चमक

तेरी कमी में भी तेरी ही महक

रास्तों में सूरज की तपन

आंखों में मंजिल का सपन, जो

किसी के जुल्फों के छाव के

क्या है जो शिर्फ़ नाम के

क्या उम्मीद है पूरे होने की

क्यों मैं अब भी

उन्ही जुल्फों में

साये ढूढता हूँ ।

लम्बे सफर में

आशा युक्त मानो भाव से आराम के।

मंजिल है अपने हैं

छोड़ने है वो सपने है

फिर भी क्या हूँ,

हूँ तो आदमी

हाँ हूँ में शिर्फ़ आदमी

मेरी है बस इतनी सी कहानी है।

कुछ किसी से कह दी है,

थोड़ी और कहनी है,

और ज्यादा किसी से कहनी भी नही है।

जिसके लिए कहता हूँ

बस उसकी ही कमी

दो रास्ते........





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