शायरी-3 38

 1.गलतियां करता नही हूँ हो जाती है।

कस्तियाँ किनारो में भी खो जाती है।

अन्दर से बहुत गहरा हूँ इसलिये
बाहर से थोड़ी शैतानियां भी हो जाती है


2.थोड़ा बिगड़ना भी तो हक हमारा था

मेरा हक छीन कर आपनों ने सुधारा था।

दुःख इस बात नही की सुधारा था

बात है कि बिगड़ने से पहले सुधारा था।



3.मेरे वाचाल को मेरी बगावत न समझो

मेरी गलती से गलती हो गयी है जो

इसे आखिरी समझने कोशिश न करना

और कई बार फिर से भी हो सकती है जो


4.याद करता हूँ इस लिए नींद नही आती है
की
नींद नही आती इसलिए याद करता हूँ



5. सच्ची मोहब्बत है या फिर फरेब वारी है।
नींद आने की उम्मीद में ,फिर एक रात गुजारी है।

6.पीता हूँ इस लिए नसा नही चढ़ता है।
मैं नसा चढ़ता है इस लिए पीता हूँ।




7.चाँद तो कई बार पूरा निकाला है,पर उससे ईद नही आती।

फ़ोटो देखा आवाज सुनी।पर बात हुए बिना नींद नही आती।




8.तुम्हे लगता है ये सब आसान बहुत है,

अब दिल को तोड़ देना आम बहुत है।

मेरा क्या मेरी तो आदत सी हो गयी है,

पर वो भी किसी के लिए परेशान बहुत है।


9.दिखावे में भी उसके,नजाकत बहुत है।
बातों में उसकी कुछ हकीकत बहुत है।

ऐ मुझे छुधा ग्रसित कहने वाले लोगों,
तुम में भी किसी और की लत बहुत है।




10.तुमने जितनी दुनियां देखी नहीं, उतनी जला दिया है हमने।

जितने को जानती हो तुम, उससे ज्यादा भुला दिया है मैने।




















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