गले लगना है मुझे कसके तुम्हें....... 157




 

शमन तुमसे बिछड़ना भी नही है
जीते जी तुम्हारा होना भी नही है।

मेरे सपने में भी तू आये
और मुझे सोना भी नही है।

कोई मेरा दर्द बाँट ले पास बैठकर
और मुझे रोना नही भी है।

फिर क्यों खेलते है लोग
जबकि शमन कोई खिलौना भी नही है।

गले लगना है मुझे कसके तुम्हें
गैर हो तुम्हे हाथ से भी छूना भी नही है।

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