शमन तुमसे बिछड़ना भी नही है
जीते जी तुम्हारा होना भी नही है।
मेरे सपने में भी तू आये
और मुझे सोना भी नही है।
कोई मेरा दर्द बाँट ले पास बैठकर
और मुझे रोना नही भी है।
फिर क्यों खेलते है लोग
जबकि शमन कोई खिलौना भी नही है।
गले लगना है मुझे कसके तुम्हें
गैर हो तुम्हे हाथ से भी छूना भी नही है।
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