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शायरों के अपने दुखड़े है ..............149

 



किसी के कहने से हम चलते नही है।

ठोकरों से भी हम सम्भलते नही है।

 

शायरों के अपने दुखड़े है शमन
ख़ुशी के माहौल ज्यादा टिकते नही है।

 

शायरी लगती सौतन है मेरे महबूब को
कहती है हम उससे प्यार करते नही है।

मेरा गांव (Part-1st).................138



 गांव में

नदी के किनारे
एक छत मेरी भी है
मैं अक्सर वहाँ बैठता हूँ
फिर गांव देखता हूँ
मुझे साफ साफ दिखता है
मुझे दूर दूर तक दिखता है,गांव
गांव की टूटी सड़के,
अधगिरे इंसानी मकान,
छप्पर, और गढ्ढे में समसान
काम दिखाने के लिए
बस नाम के शौचालय
जो चुनाव में पर्चे चिपनकाने
के काम आएँगे,
क्योंकि फूस की टटिया पर पर्चे चिपकाने से
नेता जी के पेट मे छेंद हो जाता है
लेकिन नेता जी जो खा रहे है
अब भी उसी से चिपकेगे।
भाई नही छूटती है, आदत है,


                                         आदत है,!!

सुबह-सुबह
पुआल की खरई पर बच्चों के खेलने की
बूढों की धूप में चठिया लगाकर चकल्लस करने की
अपनी तीसमारी बताने की
लौंडो की बिना मतलब घूमने की
5 साल गांव में प्रधान होता है
चुनाव में यहां प्रधान होते हैं
जमातें जमती है सुबह सुबह द्वारे उनके
उनको जीता रहे थे 250 वोटो से
ये जमाती अगली सुबह डेरा बदलते है,
दूसरे प्रधान के वहाँ
इनको 500 वोटों से विजय दिलवा रहे होते है,
और दूसरे दिन चल बैठते है तीसरे के वहाँ
पानी की तरह बहते है दलाली लोग.........!
           और
पानी सड़क पर बहता है,
क्योंकि..परधान .! पानी बहुत है. नाली नही हैं/
ये पानी रोज सड़क पर बहकर नदी तक जाता है
और 50 साल की कोशिश में एक बार भी,
नदी गांव तक नही आ पायी
नदी इसी गुस्से से हर बार
सब खेत डुबा देती है, बर्बाद कर देती है फसल
सरकार से गांव वालों को राहत इस लिए नही मिलती है
की उनके घर नही डूबे है
किसी की जान नही गयी है
कोई धरने पर नही बैठा है
यहाँ सब
थोड़ा स्वाभिमानी है
थोड़ा पागल
थोड़ा हटे है
थोड़ा बुद्धू है, गांव के लोग
हक को भी भीख समझते है
और राजनीति को नीति राज

 


अब जमाना वो नही है कि रात को भूखे सोये,
दम लगी फसल चली गयी
पर मेहनत से (पैदा किया)पाला लड़का
लखनऊ भेज रखा है।
क्योकि परधान को भी तो जिंदा रखना है
उसके मनरेगा के पैसों से,
प्रधान न मरे ...
वो दूसरे पैसे कमा लेगा
कमा लेगा भीख के बदले स्वाभिमान
दूसरा बेटा कविता लिखता है
सबको बताएगा गांव के हाल और हालात
वो सब लिखेगा, जो सच है,या जो सच के पीछे है।
बताएगा सत्य से गांव की कमजोरी
आत्मसम्मान से उठती मजबूरी
खुशी बताएगा,दर्द की बात बताएगा
और हर हल्कू की सरद रात बताएगा
दुःखती हुई गरीबी की जात बताएगा

 

 ...... पार्ट-2nd पढ़े

जिंदगी के एक सफ़र में इतने सारे सफ़र होते हैं।....................121




 जिंदगी के एक सफ़र में इतने सारे सफ़र होते हैं।
कभी अकेले हम सफ़र में!कभी कई सारे हमसफ़र होते है

 

तुम साथ होते तो पत्थर काट कर बना लेते हम सफ़र
तुम्हारे बिन कितने लम्बे हर लम्हे के सफर होते हैं

हर रुकती गड़ी से मुझको तू उतरती नजर आती है
जब तू खुद तेरे साथ होती है तो कैसे तेरे सफ़ऱ होते हैं

मेरे जैसे भी बैठे है यहाँ जो ये सब बस देखते रहते है
कुछ बहुत खुश लोग मिलते है जिनके अच्छे सफ़ऱ होते हैं

कितनो ने देखा है भरके आँखें आँखों मे अभी तक..............117




 कितनो ने देखा है भरके आँखें आँखों मे अभी तक

कितने लोग मर गए डूब कर आँखों में अभी तक

उन समझदार लोगों से कोई मिलवाव मुझे
जो बच भी गए हैं डूबने से आँखों में अभी तक


बात कुछ भी नही या ज्यादा बड़ी हो पिछली जिंदगी की
मैं ही बोल रहा तुमने कुछ बताया ही नही अभी तक






आज मिलो या कल या कभी नही.....................113


 


आज मिलो या कल या कभी नही

अब सब मिल रहा है बस तुम्ही नही

विश्वास जितना जरूरी तो कुछ भी नही
हाँ जरूरी हो पर उतना तो तुम भी नही

एक मशवरा है मेरा भी इस जमाने से
गलत न करो! करो या कुछ भी नही

देखना हो वही जो दिख रहा हो नही
हिल-डुल कर देखो दिखेगा बिल्कुल वही


तुम 

याद है.....................106

                                       


 

   मिलना नही बिछड़ना याद

 प्यार नही झगड़ना याद है


दिन हुए इतने उसे याद करते कि
याद नहीं याद करना याद है

बात अलग है मैं शर्ते भूल गया
तुम ही बता दो कि क्या याद है

ये मेरे चाहने वाले इतनी खलल न पैदा कर...............105



 

 ये मेरे चाहने वाले इतनी खलल न पैदा कर

यैसे न जिऊँ मैं और भगवान से सौदा कर

 

ये जो भाँवर मचा दी है काफी नही है 
नया सोच पानी में भी कोई आग पैदा कर

 

अब मेरे मारने भी की करने से कुछ नही होगा
मैं मिट जाऊ बिल्कुल कोई ऐसा इरादा कर

 

मुझसे दुश्मनी करके तुम्हारा कुछ नही होगा
मुझे मरना ही है तो मुझसे प्यार ज्यादा कर

गलत लोगों की गलती बताने का ठेका मिला..............82

 गलत लोगों की गलती बताने का ठेका मिला

गलत निकला मैं ही हर बार सबक ऐसा मिला

 

हर बार मनाने का वादा किया जिसने मुझे
वही मेरी छोटी-सी बात पर रूठ जाता मिला

 

विज्ञान,गणित,वाणिज्य बड़ा जानते होतो बताओ
मेरा मुझे बटकर मिला तो मुझे कितना मिला

 

आँखों से पिलाने आये हो तो पिला दो ऐसे ही
कुछ और लाये हो तो उसमें नमक तोड़ा मिला

वो भी अपना ऐतबार खोने लगे।.................2

मैंने सच बोल कर हंस दिया,
वे झूठ बोलकर रोने लगे।
मेरी नज़रो में जमाने की तरह
वो भी अपना ऐतबार खोने लगे।
वो भी अपना ऐतबार खोने लगे।