किसी के कहने से हम चलते नही है।ठोकरों से भी हम सम्भलते नही है।
शायरों के अपने दुखड़े है शमनख़ुशी के माहौल ज्यादा टिकते नही है।
शायरी लगती सौतन है मेरे महबूब कोकहती है हम उससे प्यार करते नही है।
किसी के कहने से हम चलते नही है।ठोकरों से भी हम सम्भलते नही है।
शायरों के अपने दुखड़े है शमनख़ुशी के माहौल ज्यादा टिकते नही है।
शायरी लगती सौतन है मेरे महबूब कोकहती है हम उससे प्यार करते नही है।
गांव में
नदी के किनारेएक छत मेरी भी हैमैं अक्सर वहाँ बैठता हूँफिर गांव देखता हूँमुझे साफ साफ दिखता हैमुझे दूर दूर तक दिखता है,गांवगांव की टूटी सड़के,अधगिरे इंसानी मकान,छप्पर, और गढ्ढे में समसानकाम दिखाने के लिएबस नाम के शौचालयजो चुनाव में पर्चे चिपनकानेके काम आएँगे,क्योंकि फूस की टटिया पर पर्चे चिपकाने सेनेता जी के पेट मे छेंद हो जाता हैलेकिन नेता जी जो खा रहे हैअब भी उसी से चिपकेगे।भाई नही छूटती है, आदत है,
आदत है,!!
सुबह-सुबहपुआल की खरई पर बच्चों के खेलने कीबूढों की धूप में चठिया लगाकर चकल्लस करने कीअपनी तीसमारी बताने कीलौंडो की बिना मतलब घूमने की5 साल गांव में प्रधान होता हैचुनाव में यहां प्रधान होते हैंजमातें जमती है सुबह सुबह द्वारे उनकेउनको जीता रहे थे 250 वोटो सेये जमाती अगली सुबह डेरा बदलते है,दूसरे प्रधान के वहाँइनको 500 वोटों से विजय दिलवा रहे होते है,और दूसरे दिन चल बैठते है तीसरे के वहाँपानी की तरह बहते है दलाली लोग.........!औरपानी सड़क पर बहता है,क्योंकि..परधान .! पानी बहुत है. नाली नही हैं/ये पानी रोज सड़क पर बहकर नदी तक जाता हैऔर 50 साल की कोशिश में एक बार भी,नदी गांव तक नही आ पायीनदी इसी गुस्से से हर बारसब खेत डुबा देती है, बर्बाद कर देती है फसलसरकार से गांव वालों को राहत इस लिए नही मिलती हैकी उनके घर नही डूबे हैकिसी की जान नही गयी हैकोई धरने पर नही बैठा हैयहाँ सबथोड़ा स्वाभिमानी हैथोड़ा पागलथोड़ा हटे हैथोड़ा बुद्धू है, गांव के लोगहक को भी भीख समझते हैऔर राजनीति को नीति राज
अब जमाना वो नही है कि रात को भूखे सोये,दम लगी फसल चली गयीपर मेहनत से (पैदा किया)पाला लड़कालखनऊ भेज रखा है।क्योकि परधान को भी तो जिंदा रखना हैउसके मनरेगा के पैसों से,प्रधान न मरे ...वो दूसरे पैसे कमा लेगाकमा लेगा भीख के बदले स्वाभिमानदूसरा बेटा कविता लिखता हैसबको बताएगा गांव के हाल और हालातवो सब लिखेगा, जो सच है,या जो सच के पीछे है।बताएगा सत्य से गांव की कमजोरीआत्मसम्मान से उठती मजबूरीखुशी बताएगा,दर्द की बात बताएगाऔर हर हल्कू की सरद रात बताएगादुःखती हुई गरीबी की जात बताएगा
...... पार्ट-2nd पढ़े
जिंदगी के एक सफ़र में इतने सारे सफ़र होते हैं।कभी अकेले हम सफ़र में!कभी कई सारे हमसफ़र होते है
तुम साथ होते तो पत्थर काट कर बना लेते हम सफ़रतुम्हारे बिन कितने लम्बे हर लम्हे के सफर होते हैंहर रुकती गड़ी से मुझको तू उतरती नजर आती हैजब तू खुद तेरे साथ होती है तो कैसे तेरे सफ़ऱ होते हैंमेरे जैसे भी बैठे है यहाँ जो ये सब बस देखते रहते हैकुछ बहुत खुश लोग मिलते है जिनके अच्छे सफ़ऱ होते हैं
कितनो ने देखा है भरके आँखें आँखों मे अभी तक
कितने लोग मर गए डूब कर आँखों में अभी तक
आज मिलो या कल या कभी नही
अब सब मिल रहा है बस तुम्ही नहीविश्वास जितना जरूरी तो कुछ भी नहीहाँ जरूरी हो पर उतना तो तुम भी नहीएक मशवरा है मेरा भी इस जमाने सेगलत न करो! करो या कुछ भी नहीदेखना हो वही जो दिख रहा हो नहीहिल-डुल कर देखो दिखेगा बिल्कुल वहीतुम
मिलना नही बिछड़ना याद
प्यार नही झगड़ना याद है
दिन हुए इतने उसे याद करते कियाद नहीं याद करना याद हैबात अलग है मैं शर्ते भूल गयातुम ही बता दो कि क्या याद है
ये मेरे चाहने वाले इतनी खलल न पैदा कर
यैसे न जिऊँ मैं और भगवान से सौदा कर
ये जो भाँवर मचा दी है काफी नही है
नया सोच पानी में भी कोई आग पैदा कर
अब मेरे मारने भी की करने से कुछ नही होगामैं मिट जाऊ बिल्कुल कोई ऐसा इरादा कर
मुझसे दुश्मनी करके तुम्हारा कुछ नही होगामुझे मरना ही है तो मुझसे प्यार ज्यादा कर
गलत लोगों की गलती बताने का ठेका मिला
गलत निकला मैं ही हर बार सबक ऐसा मिला
हर बार मनाने का वादा किया जिसने मुझेवही मेरी छोटी-सी बात पर रूठ जाता मिला
विज्ञान,गणित,वाणिज्य बड़ा जानते होतो बताओमेरा मुझे बटकर मिला तो मुझे कितना मिला
आँखों से पिलाने आये हो तो पिला दो ऐसे हीकुछ और लाये हो तो उसमें नमक तोड़ा मिला