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मैंने ही मोहब्बत की थी






 








मैने भी मोहब्बत की थी

मैंने ही मोहब्बत की थी

जहां जिंदा रहना फजूल था
ऐसी मैंने पूरी जिंदगी जी थी

मुँह से कटारें थी निकल रही 'तब
मैंने कलम भी जेब मे रख ली थी।

औरत रोने से घर ढह जाते है,
देख लोगो ने आंशू लड़ाई की थी।

मर्द रोते है,तो क्यों भनक तक नही होती
इस पर किसी ने बात तक नही की थी।

आज मिलो या कल या कभी नही.....................113


 


आज मिलो या कल या कभी नही

अब सब मिल रहा है बस तुम्ही नही

विश्वास जितना जरूरी तो कुछ भी नही
हाँ जरूरी हो पर उतना तो तुम भी नही

एक मशवरा है मेरा भी इस जमाने से
गलत न करो! करो या कुछ भी नही

देखना हो वही जो दिख रहा हो नही
हिल-डुल कर देखो दिखेगा बिल्कुल वही


तुम