हूर भी तू ,मशहूर तू
पास भी तू, दूर भी तू
दवा भी तू ,दुआ भी तू
जख्म भी तू, नासूर भी तू
कई बरस से मुझ में बैठी
है दूर दूर से दूर भी तू
झूट भी तू सच भी तू
आज भी तू कल भी तू
तेरे सहारे बैठा मैं
रज रज के रज दे तू, या
कटे जिंदगी जिसके सहारे
बात आखिरी दस दे तू
रोना ये जिनको पढ़कर
क्यूं ऐसी बातें लिक्खे तू
बस तुझे पता है क्या है तू
मोहे हर जगह ही दिक्खे तू
-shman
मैं नही कहता लड़कियां गलत हैं 22
तेरे इश्क़ के फरमाने बहुत हैं
हम पे बीते जमाने बहुत हैं
हम तो बस तड़प कर रह गए
तूम को तो आंशू आने बहुत हैं
मैं ये नही कहता लड़कियां गलत हैं
टाइम पास के लिए याराने बहुत हैं
हम पे बीते जमाने बहुत हैं
हम तो बस तड़प कर रह गए
तूम को तो आंशू आने बहुत हैं
मैं ये नही कहता लड़कियां गलत हैं
टाइम पास के लिए याराने बहुत हैं
-shman
मैं न्यूज वाला हूँ चूतिया बनाता हूँ21
कार्यकर्ता लड़ें इसलिए नेता लड़ता हूँ
मुझको TRP की इतनी पड़ी है
अखाड़े के होस्ट को लड़की रखी है
जो फाड़ पाए मेरी या पास पैसा हो
मैं केवल उससे ही हमदर्दी जताता हूँ
सौ की सीधी बात एक सबको बताता हूं
मैं न्यूज़ वाला हूँ चूतिया बनाता हूँ
-shman
हम भी खराब चलते हैं20
1.हम थोड़ा वक्त के हिसाब से चलते हैं
जितना वो चलता है उससे ज्यादा हम खराब चलते हैं
2. वक्त की खैर छोड़ो अपने आप पे अड़ लिया जाय
जो होना है होगा जो नही होना है कर लिया जाय.
3.आजीब सिहरन है इश्क की भी।
औकात रोड पर आ जाती है आदमी की भी।
पलटते लोग बातो से
तड़पते लोग बातो से..
शायद जो ये है इस लिए मुझसे इश्क नही होता
कमियां मुह पर कहता और तारीफ नही करता
जितना वो चलता है उससे ज्यादा हम खराब चलते हैं
2. वक्त की खैर छोड़ो अपने आप पे अड़ लिया जाय
जो होना है होगा जो नही होना है कर लिया जाय.
3.आजीब सिहरन है इश्क की भी।
औकात रोड पर आ जाती है आदमी की भी।
पलटते लोग बातो से
तड़पते लोग बातो से..
शायद जो ये है इस लिए मुझसे इश्क नही होता
कमियां मुह पर कहता और तारीफ नही करता
शायर 18
पता नही खुद को मैं ऐसा क्यों लगता हूँ
जब आईना देखता हूँ तो शायर स लगता हूँ
कई कई लोगों के! मेरी बात लगती है
और कई लोगो के तो मैं खुद लग जाता हूँ।
जब आईना देखता हूँ तो शायर स लगता हूँ
कई कई लोगों के! मेरी बात लगती है
और कई लोगो के तो मैं खुद लग जाता हूँ।
कुछ शायरी17
उसे हर तीसरे से प्यार हुआ है
बहुत लोग आए हैं इस आग चपेट में
शमन पहला नही जो बेजार हुआ है
मुझको भी उसी से प्यार हुआ है
- शमन
लोगों की जितनी बड़ी पूरी कहानी होती है ना
उतना बड़ा शिर्फ़ मेरा एक पल का किस्सा है।
उतना बड़ा शिर्फ़ मेरा एक पल का किस्सा है।
लेकिन उसके कुछ पल की बातें इतना छू गयी
मेरी सारी जिंदगानी उसके एक पल का शिर्फ़ हिस्सा है।
- shman
ये हालात पैदा करने वाले हाल पुछते है।
कैसे गुजरा पूरा एक साल पूछते है।
मैं हारा था जिस गलती से पिछली बार
वो फिर से मेरी अगली चाल पूछते है।
कैसे गुजरा पूरा एक साल पूछते है।
मैं हारा था जिस गलती से पिछली बार
वो फिर से मेरी अगली चाल पूछते है।
-शमन
मुझे गुस्सा आता नही है
आने के बाद जाता नही है
मैं परेशान हूं इस फितरत से
कोई इसे बदल पाता नही है।
आने के बाद जाता नही है
मैं परेशान हूं इस फितरत से
कोई इसे बदल पाता नही है।
-शमन
जिसका कोई नही मैं उसके सर का ताज हूँ,
बीत गया था कल मैं फिर भी मैं आज हूँ,
अंदाज कोई कैसे लगाए बुनियाद शमन की
जब मैं सब कुछ कह दूं तब भी मैं राज हूँ।
बीत गया था कल मैं फिर भी मैं आज हूँ,
अंदाज कोई कैसे लगाए बुनियाद शमन की
जब मैं सब कुछ कह दूं तब भी मैं राज हूँ।
-shman
उसकी वोर चलता रहूँ 16
ताउम्र उसके प्यार के कसीदे पढ़ता रहूँ
वो न देखे फिर भी उसकी वोर चलता रहूँ
या खुदा इतनी पैमानी बक्स मुझे
जितना भी कहता हूँ उतना ही करता रहूँ
वो न देखे फिर भी उसकी वोर चलता रहूँ
या खुदा इतनी पैमानी बक्स मुझे
जितना भी कहता हूँ उतना ही करता रहूँ
-शमन
भी नही15
मैंने फोन किया था उसने उठाया भी नही
शमन मैं उसके दिल में रहने जाऊं तो कैसे
मेरे पास महंगे मकान का किराया भी नही
दोस्त कहने लगे और मैं गया था उसको
उठाने, लेकिन गया मुझसे उठाया भी नही
पिछले कई वर्षो का वक्त मैने कर दिया जाया
अब लिखता हूँ तो लगता है वो जाया भी नही
क्यों अदा करूँ रिवाज रिस्तों के और रस्में,
रिस्तेदारों का नमक तो मैने खाया भी नही
-shman
बेकार हैं 14
कई मुंसी बने बैठे है किरदार में
फिर भी आना चाहते हैं सरकार में
पहले मुझे अकेले को लगता था
अब कई लोग कहते है बेकार हैं
फिर भी आना चाहते हैं सरकार में
पहले मुझे अकेले को लगता था
अब कई लोग कहते है बेकार हैं
ईद 13.
न मिलने सा मिलना, दूरी सी दूर मिली
तन्हाई जो न मिलनी थी वो मुझको खूब मिली
लोग मिलते है जैसे अब की ईद 'शमन"
मुझको ऐसे ही सब दिन महबूब मिली
-shman
तन्हाई जो न मिलनी थी वो मुझको खूब मिली
लोग मिलते है जैसे अब की ईद 'शमन"
मुझको ऐसे ही सब दिन महबूब मिली
-shman

जरूरी है क्या…........? 12.
जिंदगी तनहाई में काटना जरूरी है क्या?
जिंदा रहने के लिए काम करना जरूरी है क्या?
मैं चाहता हूं कोई टाई पकड़कर पास खींचे और कहे
क्यों जी आज ऑफिस जाना जरूरी है क्या?
अपनो से और अपने आप से दूरियां बढ़ाती हैं
आदमी की ये जरूरतें इतनी जरूरी है क्या?
तैरने के लिए दारिये में बहाव होना,उसको प्यार
करने के लिए उसका प्यार करना जरूरी है क्या?
रिस्ते न पैसो से चलते है न खरीदे जा सकते हैं
तो फिर ये बताओ दहेज देना जरूरी है क्या?
जिंदा रहने के लिए काम करना जरूरी है क्या?
मैं चाहता हूं कोई टाई पकड़कर पास खींचे और कहे
क्यों जी आज ऑफिस जाना जरूरी है क्या?
अपनो से और अपने आप से दूरियां बढ़ाती हैं
आदमी की ये जरूरतें इतनी जरूरी है क्या?
तैरने के लिए दारिये में बहाव होना,उसको प्यार
करने के लिए उसका प्यार करना जरूरी है क्या?
रिस्ते न पैसो से चलते है न खरीदे जा सकते हैं
तो फिर ये बताओ दहेज देना जरूरी है क्या?
और हम अकेले....... 11
रिस्क हैं इश्क की और हम अकेले
शोर है हर तरफ और हम अकेले
जंग जारी हर सम्त और हम अकेले
शोर है हर तरफ और हम अकेले
जंग जारी हर सम्त और हम अकेले
हर तरफ है अंत और हम अकेले
नोक है यंत्र की और हम अकेले
झोंक जादू मन्त्र की और हम अकेले
लोगों की बात है और हम अकेले
चक्रव्यूह घात है और हम अकेले
कई दिन की रात है और हम अकेले
चल रहे साथ हैं और हम अकेले
खुश अपने आप हैं और हम अकेले
वादों की बेड़ियाँ और हम अकेले
बातों की कैंचियाँ और हम अकेले
न्याय दाता मन्द हैं और हम अकेले
रोकने को फंद है और हम अकेले
रूढ़ियों के छ्न्द हैं और हम अकेले
सौ तरह के दंड हैं और हम अकेले
खुद में ही बंद है और हम अकेले
नोक है यंत्र की और हम अकेले
झोंक जादू मन्त्र की और हम अकेले
लोगों की बात है और हम अकेले
चक्रव्यूह घात है और हम अकेले
कई दिन की रात है और हम अकेले
चल रहे साथ हैं और हम अकेले
खुश अपने आप हैं और हम अकेले
वादों की बेड़ियाँ और हम अकेले
बातों की कैंचियाँ और हम अकेले
न्याय दाता मन्द हैं और हम अकेले
रोकने को फंद है और हम अकेले
रूढ़ियों के छ्न्द हैं और हम अकेले
सौ तरह के दंड हैं और हम अकेले
खुद में ही बंद है और हम अकेले
#motivatino #manjil 10
न राही न सलाही
न नींद में ख़्वाब देखते हैं।
आज-कल हम
अपने रास्ते आप देखते हैं।
- shman
न नींद में ख़्वाब देखते हैं।
आज-कल हम
अपने रास्ते आप देखते हैं।
- shman
सुरुआत की याद 9
आज तेरे न होने से सुरुआत न हुई मेरी,
और फोन करने की भी औकात न हुई मेरी।
दिनों में बादशाहत चलती है शमन की
पर ये कमज़र्फ अभी तक रात न हुई मेरी।
-shman
#मेरा गांव #गांव #naturalty8
मेरे गाँव की बात और है
वो जो कही नही और है
मेरा गांव सन्ति प्रतीक है
हर कोई हरि में शरीक है
दुनिया देखी वापस आया
कही नही है ऐसी छाया
तरु कुंजित है शुभ्र प्रलेखे
दुनियां में शिर्फ़ यही है देखे
दुनियां में हर जगह व्यथा है
गांव मेरे शिर्फ़ हर्षिता है
दुनिया मे हर जगह शोर है
फिर भी शमन पर नही जोर है,
मेरे गाँव की..........
बिछुब्ध हवा के झोंके ऐसे
लाखों सर्प लोटते जैसे,
वो फूलो पर भौरों का गुंजन
फुदक रहा है पक्षी अंजन
कुहू कुहू ये बोल रहीं हैं,
मद में मधुमख्खीं खेल रही है।
एक छोटी सी प्यारी सी चिड़िया है।
खोल रही फूलों की पंखुड़िया है।
हर कीमत बेमान यहां है
बेशक जीना आसान यहां है
मौसम चुनाव का बड़ा जोर है
जिससे चौपाल में बड़ा शोर है
मेरे गाँव की .................
- shman
#वो और #मैं #sadshayari #dardshayri #love .7
उसकी हँसी से हँसना,उसके रोने पर रोना आ जाता है,
बड़ी बात को बड़े अदब हँस हँस कहना आ जाता है।
उसका मेरा कोई रिश्ता नहीं न कभी भी होना है,
फिरभी रिश्तों को रिश्तों से रिश्तों तक पहुंचना आ जाता है।
मैं अपने तन मन जीवन से कुछ नही चाहता था हूँ।
निर्रथक जीवन को उसके खातिर कुछ करना आ जाता है।
मैने लिखकर पन्ने फाडे थे, कई रात की मेहनत के जो
अब हर कविता को चुन कर अच्छे से रखना आ जाता है।
मैं खुद से खुद पर लड़ कर अड़ा रहा हूं बरसो से
मुझको उसकी झूठी बातो के संग भी बहना आ जाता है।
वो भोली मुझ बुरे शमन संग भी बहुत हर्षिता है।
डरा नही हूँ बरसो से,फिर अब खुद पर डरना आ जाता है।
- shman
#दोस्ती #friendshipshayari ......................... 6
मेरी दोस्ती का किस्सा अजीब है,
वो मेरी मोहब्बत से भी करीब है।
शिर्फ़ मेरी ही किस्मत नही अच्छी
सारी दुनिया उसकी रक़ीब है।
-शमन
वो मेरी मोहब्बत से भी करीब है।
शिर्फ़ मेरी ही किस्मत नही अच्छी
सारी दुनिया उसकी रक़ीब है।
-शमन
मेरा गांव ..................... 5
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बेमतलब सा कुछ भी करना अच्छा लगता है।
तुमसे लड़ना ,गुस्सा करना , गाली खाना
और शिर्फ़ तुम्ही से बातें करना अच्छा लगत है
बेवजह दौड़ना गिर जाना, गिर कर उठना
और शमन को दौड़ते रहना अच्छा लगता है।
मैं व्यथा तृप्त हूँ बहुत समय से,और समय से हारा,
फिर भी लोगो को मेरा हस के देखना अच्छा लगता है।
न मैं अच्छा हूँ न किसी के किसी काम का हूँ।
फिर भी लोगों का मेरे संघ में चलना अच्छा लगता है।
उसकी बातों को बातो से कैसे बताएं
कहती है हम अच्छे हैं और अच्छा लगता है।
#ईद #eed #sad shayri................3
न मिलने सा मिलना, दूरी सी दूर मिलीतन्हाई जो न मिलनी थी वो मुझको खूब मिली
लोग मिलते है जैसे अब की ईद 'शमन"मुझको ऐसे ही सब दिन महबूब मिली-shman
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