1.हम थोड़ा वक्त के हिसाब से चलते हैं
जितना वो चलता है उससे ज्यादा हम खराब चलते हैं
2. वक्त की खैर छोड़ो अपने आप पे अड़ लिया जाय
जो होना है होगा जो नही होना है कर लिया जाय.
3.आजीब सिहरन है इश्क की भी।
औकात रोड पर आ जाती है आदमी की भी।
पलटते लोग बातो से
तड़पते लोग बातो से..
शायद जो ये है इस लिए मुझसे इश्क नही होता
कमियां मुह पर कहता और तारीफ नही करता
No comments:
Post a Comment