मेरा गांव ..................... 5

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गांव में रहना, हवा सा बहना, अच्छा लगता है,
बेमतलब सा कुछ भी करना अच्छा लगता है।

तुमसे लड़ना ,गुस्सा करना , गाली खाना
और शिर्फ़ तुम्ही से बातें करना अच्छा लगत है

बेवजह दौड़ना गिर जाना, गिर कर उठना
और शमन को दौड़ते रहना अच्छा लगता है।

मैं व्यथा तृप्त हूँ बहुत समय से,और समय से हारा,
फिर भी लोगो को मेरा हस के देखना अच्छा लगता है।

न मैं अच्छा हूँ न किसी के किसी काम का हूँ।
फिर भी लोगों का मेरे संघ में चलना अच्छा लगता है।

उसकी बातों को बातो से कैसे बताएं
कहती है हम अच्छे हैं और अच्छा लगता है।

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