तू ही तू.23

हूर भी तू ,मशहूर तू
पास भी तू, दूर भी तू
दवा भी तू ,दुआ भी तू
जख्म भी तू, नासूर भी तू
कई बरस से मुझ में बैठी
है दूर दूर से दूर भी तू

झूट भी तू सच भी तू
आज भी तू कल भी तू
तेरे सहारे बैठा मैं
रज रज के रज दे तू, या
कटे जिंदगी जिसके सहारे
बात आखिरी दस दे तू


रोना ये जिनको पढ़कर
क्यूं ऐसी बातें लिक्खे तू
बस तुझे पता है क्या है तू
मोहे हर जगह ही दिक्खे तू
-shman

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