मेरे गाँव की बात और है
वो जो कही नही और है
मेरा गांव सन्ति प्रतीक है
हर कोई हरि में शरीक है
दुनिया देखी वापस आया
कही नही है ऐसी छाया
तरु कुंजित है शुभ्र प्रलेखे
दुनियां में शिर्फ़ यही है देखे
दुनियां में हर जगह व्यथा है
गांव मेरे शिर्फ़ हर्षिता है
दुनिया मे हर जगह शोर है
फिर भी शमन पर नही जोर है,
मेरे गाँव की..........
बिछुब्ध हवा के झोंके ऐसे
लाखों सर्प लोटते जैसे,
वो फूलो पर भौरों का गुंजन
फुदक रहा है पक्षी अंजन
कुहू कुहू ये बोल रहीं हैं,
मद में मधुमख्खीं खेल रही है।
एक छोटी सी प्यारी सी चिड़िया है।
खोल रही फूलों की पंखुड़िया है।
हर कीमत बेमान यहां है
बेशक जीना आसान यहां है
मौसम चुनाव का बड़ा जोर है
जिससे चौपाल में बड़ा शोर है
मेरे गाँव की .................
- shman
Nice on
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