#मेरा गांव #गांव #naturalty8


मेरे गाँव की बात और है
वो जो कही नही और है

मेरा गांव सन्ति प्रतीक है
हर कोई हरि में शरीक है

दुनिया देखी वापस आया
कही नही है ऐसी छाया

तरु कुंजित है शुभ्र प्रलेखे
दुनियां में शिर्फ़ यही है देखे

दुनियां में हर जगह व्यथा है
गांव मेरे शिर्फ़ हर्षिता है

दुनिया मे हर जगह शोर है
फिर भी शमन पर नही जोर है,

मेरे गाँव की..........

बिछुब्ध हवा के झोंके ऐसे
लाखों सर्प लोटते जैसे,

वो फूलो पर भौरों का गुंजन
फुदक रहा है पक्षी अंजन

कुहू कुहू ये बोल रहीं हैं,
मद में मधुमख्खीं खेल रही है।

एक छोटी सी प्यारी सी चिड़िया है।
खोल रही फूलों की पंखुड़िया है।

हर कीमत बेमान यहां है
बेशक जीना आसान यहां है

मौसम चुनाव का बड़ा जोर है
जिससे चौपाल में बड़ा शोर है

मेरे गाँव की .................

                        -    shman

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