सुरुआत की याद 9



आज तेरे न होने से सुरुआत न हुई मेरी,

और फोन करने की भी औकात न हुई मेरी।

दिनों में बादशाहत चलती है शमन की

पर ये कमज़र्फ अभी तक रात न हुई मेरी।


                        -shman

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