शायरी................ 37

1. पहले में खुद से अब तुम से भी बातें किया करता हूँ।

मरता था हर रोज मैं अब मर के जिया करता हूँ।


बेजुबान से पौधे मेरी जिंदगी में आना चाहते है,
बड़े होकर चाहे कष्ट दे पर फिर भी पानी दिया करता हूँ।



2. मेरी निगाहें फितरत है रातों में जागना
इन आँखों में अजीब स सपना कब नही था।

लेकिंन मिला तो यार परसो ही था उससे
पता नही अब भविष्य नही या तब नही था।

3.तेरी बातों को सोचना रहेगा जारी,
तुझे पता है तू मंजिल नही हमारी।
एक पेड़ की दोस्ती हो गयी है तोते से
क्या जंगल बसने के बाद भी रहेगी यारी।

4.अपनी हक़ीक़त कुछ इस तरह बयाँ मैं करूँ,

तुझे भुलाने की कोशिश में,याद ज्यादा मैं करूँ।


5.हर बार की तरह अपने आप पर खुद्दारी बहुत थी,
अबकी बार बाढ़ भी गांव में आयी भी बहुत थी।

वो जो निशान लगा रखे थे भिगोने के लिए
डूब कर भी भीगे नही पानी मे किफायत बहुत थी।


6.फलो का पेड़ से गिरना,बिना मौसम बारिश का होना।
इसे मैं भीख समझूँ या तेरा दुनियां में करिश्मा का होना।

बिना मांगे जो तूने दिया तो तेरा सुक्रिया अदा करूँ
मांगने पर जो न दिया था, तो तय है बगावत का होना

7.वो जो छुपाये रहा हूँ खुद से ही उसे भी कह डालूं क्या,
तेरा मेरी जिंदगी में होना है इसे भी मज़ाक समझूँ क्या।

ये जो पहले दिन के वादे को नही निभाया है आप ने
इसे नेता गिरी सौक या आती जाती सरकार समझूं क्या।

8.वो जो छुपाये रहा हूँ खुद से ही उसे भी कह डालूं क्या,
तेरा मेरी जिंदगी में होना है इसे भी मज़ाक समझूँ क्या।

ये जो पहले दिन के वादे को नही निभाया है आप ने
इसे नेता गिरी सौक या आती जाती सरकार समझूं क्या।


9.ये जो तेरे न होने में भी तेरा होना है।

ये तेरे होने से होना या तेरे न होने से होना है।

ये मेरा पागलपन या तेरे कोई जादू का होना है।

10.मैने कभी ख़ुदा को नही माना,
लेकिन आज
मैंने किसी को खुदा जरूर माना है।

अब देखना हैं

ख़ुदा मतलबी होते है,
या
मतलबी खुदा होतें हैं।

11.दिखता नही है फिर भी मैं बाज हूँ।
शमन करता हूँ फिर भी मैं आग हूँ,
किसी को नही देना चाहता मैं हर्षिता
बेसुरा राग है फिर भी मैं अनुराग हूँ।


12.जो मैं कर रहा गलत तो नही है
फिर गलत नही तो सही भी नही है
अच्छी बात है, बात कोई भी नही है,
और मैंने उससे कही भी नही है।

13.जो मैं कर रहा गलत तो नही है
फिर गलत नही तो सही भी नही है
अच्छी बात है, बात कोई भी नही है,
और मैंने उससे कही भी नही है।








































मैने नाव देखी 36

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वह देखी मैंने एक नाव
पानी सूखा लग गयी ठाव

 

जर्जर जीवन पर मन चंचल
पानी पर बहती थी कल कल

 

मन में उसके उत्साह भरा
ग्रह था उसका नीर गया

 

सोच रही वह बार बार
यह भी जीवन में एक बार

 

सबको जाना बस एक बार
मैं पार कराती बार बार

 

कभी किनारों पर रहती थी,
मुझ पे हिलोरे मरते थे,

 

प्रेमी युगल नित बच्चे आनंदित
मन सुस्थिर ह्रदया चल नित नित

 

घर की कलह से वो भी आ आ कर
जग जीवन के संड़त्रो से थक कर

 

दो गोदों के बीच लहर वह 
और हवा निर्मल जल छूकर वह

 

लगती मां के आंचल जैसी वह

 

...........................*****************adhuri

शायरी.................... 34

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मैंने सच बोल कर हस दिया
वे झूठ बोलकर रोने लगे।
मेरी नज़रो में जमाने की तरह
वो भी अपना ऐतबार खोने लगे।

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जिन्हें नही हुई,वो रंग समझते है,

मिल गयी वो भी,कम समझते है

मुद्दत से दूरियां है बराबर

फिर भी उनको हम समझते है।

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जिन्हें नही हुई,वो रंग समझते है,

मिल गयी वो भी,कम समझते है

मुद्दत से दूरियां है बराबर

फिर भी उनको हम समझते है।

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मेरा मजधारों से पुराना वास्ता भी रहा है।
नाव डूबा कभी,किनारे आता भी रहा है।

कुछ तो अच्छी और अलग बात है इसमें
न किनारे दिखे अभी और चलता भी रहा है।

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बेपरवाह लोगों का
बेवजह इंतजार है
बेपनाह प्यार है
वो मेरा यार है।
बेबुनियाद है पर
उसीसे इकरार है।

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जो मैं कर रहा गलत तो नही है
फिर गलत नही तो सही भी नही है
अच्छी बात है, बात कोई भी नही है,
और मैंने उससे कही भी नही है।

#################################

दिखता नही है फिर भी मैं बाज हूँ।
शमन करता हूँ फिर भी मैं आग हूँ,
किसी को नही देना चाहता मैं हर्षिता
बेसुरा राग है फिर भी मैं अनुराग हूँ।

#################################

मैने कभी ख़ुदा को नही माना,
लेकिन आज
मैंने किसी को खुदा जरूर माना है।

अब देखना हैं

ख़ुदा मतलबी होते है,
या
मतलबी खुदा होतें हैं।

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ये जो तेरे न होने में भी तेरा होना है।

ये तेरे होने से होना या तेरे न होने से होना है।

ये मेरा पागलपन या तेरे कोई जादू का होना है।

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वो जो छुपाये रहा हूँ खुद से ही उसे भी कह डालूं क्या,
तेरा मेरी जिंदगी में होना है इसे भी मज़ाक समझूँ क्या।
ये जो पहले दिन के वादे को नही निभाया है आप ने
इसे नेता गिरी सौक या आती जाती सरकार समझूं क्या।

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फलो का पेड़ से गिरना,बिना मौसम बारिश का होना।
इसे मैं भीख समझूँ या तेरा दुनियां में करिश्मा का होना।
बिना मांगे जो तूने दिया तो तेरा सुक्रिया अदा करूँ
मांगने पर जो न दिया था, तो तय है बगावत का होना

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हर बार की तरह अपने आप पर खुद्दारी बहुत थी,
अबकी बार बाढ़ भी गांव में आयी भी बहुत थी।
वो जो निशान लगा रखे थे भिगोने के लिए
डूब कर भी भीगे नही पानी मे किफायत बहुत थी।

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तेरी बातों को सोचना रहेगा जारी,
तुझे पता है तू मंजिल नही हमारी।

एक पेड़ की दोस्ती हो गयी है तोते से
क्या जंगल बसने के बाद भी रहेगी यारी।

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अपनी हक़ीक़त कुछ इस तरह बयाँ मैं करूँ,

तुझे भुलाने की कोशिश में,याद ज्यादा मैं करूँ।

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पहले में खुद से अब तुम से भी बातें किया करता हूँ।
मरता था हर रोज मैं अब मर के जिया करता हूँ।
बेजुबान से पौधे मेरी जिंदगी में आना चाहते है,
बड़े होकर चाहे कष्ट दे पर फिर भी पानी दिया करता हूँ।

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आदमी है जिंदगी में फ़िसल ही जाता है।
हंसता देख जलने वाला जल ही जाता है।
श्रृंगार , देश, दोस्ती पर लिखना चाहता हूं,
दर्द है कि कविता में निकल ही जाता है।

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प्यार, मोहब्बत, भरोसा और हँस के देखना
ये पूरी दुनियां में व्यापार हो गया है,
इसलिए मैं गलत हूँ, बुरा हूँ ,विपरीत हूँ,
हर साहूकार से लड़ना मेरा किरदार हो गया है।

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प्यार, मोहब्बत, भरोसा और हँस के देखना
ये पूरी दुनियां में व्यापार हो गया है,
इसलिए मैं गलत हूँ, बुरा हूँ ,विपरीत हूँ,
हर साहूकार से लड़ना मेरा किरदार हो गया है।

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मौत की मेरी काफी नजदीकियां है।
रोता हूँ मैं तो निकलती उसकी भी सिसकियाँ है

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पहले में खुद से अब तुम से भी बातें किया करता हूँ।
मरता था हर रोज मैं अब मर के जिया करता हूँ।
बेजुबान से पौधे मेरी जिंदगी में आना चाहते है,
बड़े होकर चाहे कष्ट दे पर फिर भी पानी दिया करता हूँ।

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दर्द बयाँ मैं अपनी कलम से करना चाहूं..35

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दर्द बयां मैं कलम से करना चाहूँ,
भगवान मैं तुझ से ही लड़ना चाहूँ।
इतनी छोटी थी उसका कसूर क्या था
तेरा काम रुका इतना जरूरी क्या था
मां बाप ने थी मांगी मन्नतो का क्या हुआ
पैदल चले थे दूर तक विन्नतो क्या हुआ
हर बार यही मैं तुझसे पूछना चाहूं।
दर्द बयां ........

मुझे देखकर हर बार वो मुस्कान भरे,
कभी ठुमके कभी गाने पर तराने भरे।
प्यार से बैठे और हाथों से खिलाना चाहे
थी अभी छोटी पर हमसे बड़ी वो बनना चाहे
साथ उसके मैं बचपन में चला जाना चाहूँ।
दर्द बयां...........................

बड़ा भद्दा स लगे मुझे सूरज भी आज का
धूप खिली थी मगर अंधेरा था रात सा
मैने बात की अपनो से और लोगों को मिला
पूजा पाठ की मगर मुझे मेरा उत्तर नही मिला।
आज दोपहर के बाद मैं उससे ही मिलना चाहूं।
दर्द बयां .......................

मैं बैठा घर में उसके इंतजार कर रहा
हस हस के उसकी बातों को याद कर रहा
मिलने को उससे मैं उसके घर बैठा ही रहा
किसी ने आकर वह बात मुझसे क्या कहा,
बात तो उसके बाद कि मैं कहना चाहूँ।
दर्द बयां ..................

मैं पहुचा तो वह वहां पड़ी हुई थी यूँ
देर से मेरा ही इन्तजार कर रही थी ज्यूँ
मैंने उठाया गोदी मैं तो बोली वो भइया
खड़ी थी अभी गिर पड़ी हूँ हुआ है क्या भइया
मैन कहा कुछ नही थोड़ी सी चोट लगी है
झूठे हो कहकर फिर थोड़ी मुस्कान भारी है
उसकी उस मुस्कान का मैं कर्ज उतारना चाहूं।
दर्द बयां.............

गोदी में उठाये हुए मैं गाड़ी पर बैठा
वो देख रही मुझको मैं उसको देखता, फिर
सिहरते हुए कराह कर देखती मुझको,
मुझे कुछ होगा तो नही वह पूछती मुझसे।
मैंने भी कई मिन्नते मांगी भगवान से
कीमत लगा दी उसकी मैने अपनी जान से,
विस्वाश कर भगवान पर मैंने उससे कह दिया
कुछ नही होगा तुझे ये मैंने वादा कर दिया
उसके बाद वो फिर मुझसे बोली नही थी कुछ
फिर भी मैं जगाकर उसी से बातें करना चाहूँ।
दर्द बयां मैं अपनी कलम से ................

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जलते जलते जल जाएगी.32


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जलते जलते जल_जाएगी
याद तेरी फिर भी_आएगी।

चलते चलते रह_जाऊँगा।
याद तुझे फिर भी_आऊंगा।

देश मे होली का_मौसम
सरहद पर गोली का_मौसम

पूण्य समय है अर्थ वीर_का
देश की रक्षा करे नीड़_सा

असहनीय पीड़ा से बढ़_कर
डटे हुए सिमा पर लड़कर

अधम धधक पौरुष से अड़_कर
सरहद पर होली हो जाएगी।

जलते जलते जल.............

गली गोपचे रंग छा_रहा
चुनाव भी नजदीक आ_रहा

आने वाले सब आये_है,
सब की इतने कब आए_है।

गांव में मैं जब भी आया_ हूँ ।
साये के संग मिल पाया_ हूं।

जाति कुजाति एक संग_ है
मिल मिल कर मिल गए रंग_ है

लिए हुए रंग कोई प्यार _का
जीत का कोई ले रहा मजा हार_का

ऋतु बसन्त की हवा_दीवानी,
हो भांग मिली इतनी_मस्तानी।

ये संग मुझको भी ले_जाएगी।
जलते जलते जल...........

मैं इठलाता बलखता_सा
चल दिया तनिक किन्तु रुका_सा

हर्षित मन में सोच रहा_था।
सोच रहा वह पूर्व व्यथा_थी

फिर उमंग की लहर दौड़_गयी,
ज्यों नदी पुराना खेत छोड़_गयी।

मैंने डाला रंग में_अमीर,
बालो में रगड़ा थोड़ा_समीर।

मैं दौड़ा जहां बैठी_भौजी
ज्यादा प्यारी थोड़ी मन_मौजी।

रंग उड़ाया मला_गुलाल
मन मे न रह गया_मलाल

स्मृति थी स्म्रति रह_जायेगी।
जलते जलते जल............

घर मे मैं सबसे_छोटा हूँ
छोटा की इतना_छोटा हूँ

गलती में मैं ही_होता हूँ,
गुस्से में ज्यादा_हँसता हूँ।

फिर भी जो मुझे _मिला है,
उसका मुझको सिर्फ_गिला है।

जो मिला मुझे कोई मोल_ नही
अब मेरे जीवन मे और_नही

हो गया हठी खुद ही_खुदपर
नही विजय अपने ही_मनपर

जो जोड़ा था उसका तोड़_नही
अब में...................................*************





वो अलग नही सबसे बेहतर है,33

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वो अलग नही सबसे बेहतर है।
नई उमंगो से भी तर है।

विश्वास बहुत घर के जन को भी
विश्वास बहुत है उसके मन को भी

एक भरोसा ऐसा है
कोई नही मुझपर करता है

फिर भी भरोसा नही चाहता
खुश हूं केवल विश्वास ही पाता

वो मेरे पापा जैसी है
कुछ गलत नही चाहती है

थोड़ी हटी सी थोड़ी सिरफिरी सी
थोड़ी धीर सी थोड़ी गम्भीर सी

मेरे पापा को मुझ पर ही स्नेह है,
उसको मुझ पर बड़ा नेह है।

लोग मुझे बस खर समझते है
वो, पापा बिन फल का सर जानते है

उसकी कुछ बाते सब पर सर है,
वो अलग नही..............

कुछ बातें बड़ी लम्बी छोड़ती है,
लेकिन बहुत आगे का सोचती है।.........
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खुद की कमाई है,,31


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तब्दील कर दी जिंदगियां
तब जाके समझ आयी है।

ये तकलीफ़, सजा जेहालत
मेरी खुद की कमाई है।

कभी फुर्सत में करुगा हिसाब ये जिंदगी।

कितनी डूब गई कस्तियाँ हम में,
अभी तक कितनी किनारे आयी है।

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शायरी 30


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गांव में लोग अदब के नाम पर स्थान छोड़ दिया करते है ,
लोग हॉथ बांध कर इज्जत से दिल खोल दिया करते है।
यहां पर नौकरी, पैसो या उम्र से इज्जत नही मिलती।
बस रिस्तो के नाम पर ही सब लोग प्यार दिया करते है।



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मेरी बातों में मेरा कोई हुनर नही है।
यहाँ दूर तक कोई भी सजर नही है।
अब इसी तरह चलना रहेगा जारी
जिंदगी में मेरी कोई भी अगर नही है।

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नाकाम सा अव्यावसाय सबसे छुपाने का किया करता हूं,
मैं खुद को खुद से बचाने की कोसिस किया करता हूँ।

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जिसका कोई नही मैं उसके सर का ताज हूँ,
बीत गया था कल मैं फिर भी मैं आज हूँ,
अंदाज कोई कैसे लगाए बुनियाद शमन की
जब मैं सब कुछ कह दूं तब भी मैं राज हूँ।


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पहली बार नही हर बार हुआ है
उसे हर तीसरे से प्यार हुआ है
बहुत लोग आए हैं इस आग चपेट में
शमन पहला नही जो बेजार हुआ है
मुझको भी उसी से प्यार हुआ है

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बच्चों के साथ रैगिंग
अपनो के साथ चैटिंग
दूसरे के माल के साथ सैटिंग
शमन का attidude नही है।

#################################

एक बात पर 1 घंटा गाली देने की क्षमता रख लेता हूँ।

अब कोई कुछ भी कहे सब सह लेता हूँ।

बदली कुछ ऐसी फितरत-ए-शमन की

जिस बात पे रोना उस बात पे भी हंस देता हूँ।


#################################

ओ अपने है उन्ही में हमारी जान है।

लड़ाई किस-किस से करें सब परेशान है।।


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दुनियां को चाल-ओ-चलन सिखाना हमे भी आता है,
शिर्फ़ मोहब्बत-ए-तराने गाना हमे भी आता है।
गैर होते नही होते क्योंकि
जर्जर तकदीर-ए-रिस्ते निभाना हमे भी आता है।।


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आज तेरे न होने से सुरुआत न हुई मेरी,

और फोन करने की भी औकात न हुई मेरी।

दिनों में बादशाहत चलती है शमन की

पर ये कमज़र्फ अभी तक रात न हुई मेरी।

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ये हालात पैदा करने वाले हाल पुछते है।
कैसे गुजरा पूरा एक साल पूछते है।
मैं हारा था जिस गलती से पिछली बार
वो फिर से मेरी अगली चाल पूछते है।


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लोगों की जितनी बड़ी पूरी कहानी होती है ना
उतना बड़ा शिर्फ़ मेरा एक पल का किस्सा है।
लेकिन उसके कुछ पल की बातें इतना छू गयी
मेरी सारी जिंदगानी उसके एक पल का शिर्फ़ हिस्सा है।