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तब्दील कर दी जिंदगियांतब जाके समझ आयी है।
ये तकलीफ़, सजा जेहालत
मेरी खुद की कमाई है।
कभी फुर्सत में करुगा हिसाब ये जिंदगी।
कितनी डूब गई कस्तियाँ हम में,
अभी तक कितनी किनारे आयी है।
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