शायरी.................... 34

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मैंने सच बोल कर हस दिया
वे झूठ बोलकर रोने लगे।
मेरी नज़रो में जमाने की तरह
वो भी अपना ऐतबार खोने लगे।

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जिन्हें नही हुई,वो रंग समझते है,

मिल गयी वो भी,कम समझते है

मुद्दत से दूरियां है बराबर

फिर भी उनको हम समझते है।

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जिन्हें नही हुई,वो रंग समझते है,

मिल गयी वो भी,कम समझते है

मुद्दत से दूरियां है बराबर

फिर भी उनको हम समझते है।

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मेरा मजधारों से पुराना वास्ता भी रहा है।
नाव डूबा कभी,किनारे आता भी रहा है।

कुछ तो अच्छी और अलग बात है इसमें
न किनारे दिखे अभी और चलता भी रहा है।

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बेपरवाह लोगों का
बेवजह इंतजार है
बेपनाह प्यार है
वो मेरा यार है।
बेबुनियाद है पर
उसीसे इकरार है।

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जो मैं कर रहा गलत तो नही है
फिर गलत नही तो सही भी नही है
अच्छी बात है, बात कोई भी नही है,
और मैंने उससे कही भी नही है।

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दिखता नही है फिर भी मैं बाज हूँ।
शमन करता हूँ फिर भी मैं आग हूँ,
किसी को नही देना चाहता मैं हर्षिता
बेसुरा राग है फिर भी मैं अनुराग हूँ।

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मैने कभी ख़ुदा को नही माना,
लेकिन आज
मैंने किसी को खुदा जरूर माना है।

अब देखना हैं

ख़ुदा मतलबी होते है,
या
मतलबी खुदा होतें हैं।

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ये जो तेरे न होने में भी तेरा होना है।

ये तेरे होने से होना या तेरे न होने से होना है।

ये मेरा पागलपन या तेरे कोई जादू का होना है।

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वो जो छुपाये रहा हूँ खुद से ही उसे भी कह डालूं क्या,
तेरा मेरी जिंदगी में होना है इसे भी मज़ाक समझूँ क्या।
ये जो पहले दिन के वादे को नही निभाया है आप ने
इसे नेता गिरी सौक या आती जाती सरकार समझूं क्या।

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फलो का पेड़ से गिरना,बिना मौसम बारिश का होना।
इसे मैं भीख समझूँ या तेरा दुनियां में करिश्मा का होना।
बिना मांगे जो तूने दिया तो तेरा सुक्रिया अदा करूँ
मांगने पर जो न दिया था, तो तय है बगावत का होना

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हर बार की तरह अपने आप पर खुद्दारी बहुत थी,
अबकी बार बाढ़ भी गांव में आयी भी बहुत थी।
वो जो निशान लगा रखे थे भिगोने के लिए
डूब कर भी भीगे नही पानी मे किफायत बहुत थी।

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तेरी बातों को सोचना रहेगा जारी,
तुझे पता है तू मंजिल नही हमारी।

एक पेड़ की दोस्ती हो गयी है तोते से
क्या जंगल बसने के बाद भी रहेगी यारी।

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अपनी हक़ीक़त कुछ इस तरह बयाँ मैं करूँ,

तुझे भुलाने की कोशिश में,याद ज्यादा मैं करूँ।

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पहले में खुद से अब तुम से भी बातें किया करता हूँ।
मरता था हर रोज मैं अब मर के जिया करता हूँ।
बेजुबान से पौधे मेरी जिंदगी में आना चाहते है,
बड़े होकर चाहे कष्ट दे पर फिर भी पानी दिया करता हूँ।

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आदमी है जिंदगी में फ़िसल ही जाता है।
हंसता देख जलने वाला जल ही जाता है।
श्रृंगार , देश, दोस्ती पर लिखना चाहता हूं,
दर्द है कि कविता में निकल ही जाता है।

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प्यार, मोहब्बत, भरोसा और हँस के देखना
ये पूरी दुनियां में व्यापार हो गया है,
इसलिए मैं गलत हूँ, बुरा हूँ ,विपरीत हूँ,
हर साहूकार से लड़ना मेरा किरदार हो गया है।

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प्यार, मोहब्बत, भरोसा और हँस के देखना
ये पूरी दुनियां में व्यापार हो गया है,
इसलिए मैं गलत हूँ, बुरा हूँ ,विपरीत हूँ,
हर साहूकार से लड़ना मेरा किरदार हो गया है।

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मौत की मेरी काफी नजदीकियां है।
रोता हूँ मैं तो निकलती उसकी भी सिसकियाँ है

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पहले में खुद से अब तुम से भी बातें किया करता हूँ।
मरता था हर रोज मैं अब मर के जिया करता हूँ।
बेजुबान से पौधे मेरी जिंदगी में आना चाहते है,
बड़े होकर चाहे कष्ट दे पर फिर भी पानी दिया करता हूँ।

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