###############################
भगवान मैं तुझ से ही लड़ना चाहूँ।
इतनी छोटी थी उसका कसूर क्या था
तेरा काम रुका इतना जरूरी क्या था
मां बाप ने थी मांगी मन्नतो का क्या हुआ
पैदल चले थे दूर तक विन्नतो क्या हुआ
हर बार यही मैं तुझसे पूछना चाहूं।
दर्द बयां ........
मुझे देखकर हर बार वो मुस्कान भरे,
कभी ठुमके कभी गाने पर तराने भरे।
प्यार से बैठे और हाथों से खिलाना चाहे
थी अभी छोटी पर हमसे बड़ी वो बनना चाहे
साथ उसके मैं बचपन में चला जाना चाहूँ।
दर्द बयां...........................
बड़ा भद्दा स लगे मुझे सूरज भी आज का
धूप खिली थी मगर अंधेरा था रात सा
मैने बात की अपनो से और लोगों को मिला
पूजा पाठ की मगर मुझे मेरा उत्तर नही मिला।
आज दोपहर के बाद मैं उससे ही मिलना चाहूं।
दर्द बयां .......................
मैं बैठा घर में उसके इंतजार कर रहा
हस हस के उसकी बातों को याद कर रहा
मिलने को उससे मैं उसके घर बैठा ही रहा
किसी ने आकर वह बात मुझसे क्या कहा,
बात तो उसके बाद कि मैं कहना चाहूँ।
दर्द बयां ..................
मैं पहुचा तो वह वहां पड़ी हुई थी यूँ
देर से मेरा ही इन्तजार कर रही थी ज्यूँ
मैंने उठाया गोदी मैं तो बोली वो भइया
खड़ी थी अभी गिर पड़ी हूँ हुआ है क्या भइया
मैन कहा कुछ नही थोड़ी सी चोट लगी है
झूठे हो कहकर फिर थोड़ी मुस्कान भारी है
उसकी उस मुस्कान का मैं कर्ज उतारना चाहूं।
दर्द बयां.............
गोदी में उठाये हुए मैं गाड़ी पर बैठा
वो देख रही मुझको मैं उसको देखता, फिर
सिहरते हुए कराह कर देखती मुझको,
मुझे कुछ होगा तो नही वह पूछती मुझसे।
मैंने भी कई मिन्नते मांगी भगवान से
कीमत लगा दी उसकी मैने अपनी जान से,
विस्वाश कर भगवान पर मैंने उससे कह दिया
कुछ नही होगा तुझे ये मैंने वादा कर दिया
उसके बाद वो फिर मुझसे बोली नही थी कुछ
फिर भी मैं जगाकर उसी से बातें करना चाहूँ।
दर्द बयां मैं अपनी कलम से ................
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
No comments:
Post a Comment