ईद 13.

न मिलने सा मिलना, दूरी सी दूर मिली
तन्हाई जो न मिलनी थी वो मुझको खूब मिली
लोग मिलते है जैसे अब की ईद 'शमन"
मुझको ऐसे ही सब दिन महबूब मिली
                         -shman

जरूरी है क्या…........? 12.

जिंदगी तनहाई में काटना जरूरी है क्या?
जिंदा रहने के लिए काम करना जरूरी है क्या?

मैं चाहता हूं कोई टाई पकड़कर पास खींचे और कहे
क्यों जी आज ऑफिस जाना जरूरी है क्या?

अपनो से और अपने आप से दूरियां बढ़ाती हैं
आदमी की ये जरूरतें इतनी जरूरी है क्या?

तैरने के लिए दारिये में बहाव होना,उसको प्यार
करने के लिए उसका प्यार करना जरूरी है क्या?

रिस्ते न पैसो से चलते है न खरीदे जा सकते हैं
तो फिर ये बताओ दहेज देना जरूरी है क्या?

और हम अकेले....... 11

रिस्क हैं इश्क की और हम अकेले
शोर है हर तरफ और हम अकेले
जंग जारी हर सम्त और हम अकेले
हर तरफ है अंत और हम अकेले
नोक है यंत्र की और हम अकेले
झोंक जादू मन्त्र की और हम अकेले

लोगों की बात है और हम अकेले
चक्रव्यूह घात है और हम अकेले
कई दिन की रात है और हम अकेले
चल रहे साथ हैं और हम अकेले
खुश अपने आप हैं और हम अकेले

वादों की बेड़ियाँ और हम अकेले
बातों की कैंचियाँ और हम अकेले

न्याय दाता मन्द हैं और हम अकेले
रोकने को फंद है और हम अकेले
रूढ़ियों के छ्न्द हैं और हम अकेले
सौ तरह के दंड हैं और हम अकेले
खुद में ही बंद है और हम अकेले

#motivatino #manjil 10

न राही न सलाही
न नींद में ख़्वाब देखते हैं।
आज-कल हम
अपने रास्ते आप देखते हैं।

- shman

सुरुआत की याद 9



आज तेरे न होने से सुरुआत न हुई मेरी,

और फोन करने की भी औकात न हुई मेरी।

दिनों में बादशाहत चलती है शमन की

पर ये कमज़र्फ अभी तक रात न हुई मेरी।


                        -shman

#मेरा गांव #गांव #naturalty8


मेरे गाँव की बात और है
वो जो कही नही और है

मेरा गांव सन्ति प्रतीक है
हर कोई हरि में शरीक है

दुनिया देखी वापस आया
कही नही है ऐसी छाया

तरु कुंजित है शुभ्र प्रलेखे
दुनियां में शिर्फ़ यही है देखे

दुनियां में हर जगह व्यथा है
गांव मेरे शिर्फ़ हर्षिता है

दुनिया मे हर जगह शोर है
फिर भी शमन पर नही जोर है,

मेरे गाँव की..........

बिछुब्ध हवा के झोंके ऐसे
लाखों सर्प लोटते जैसे,

वो फूलो पर भौरों का गुंजन
फुदक रहा है पक्षी अंजन

कुहू कुहू ये बोल रहीं हैं,
मद में मधुमख्खीं खेल रही है।

एक छोटी सी प्यारी सी चिड़िया है।
खोल रही फूलों की पंखुड़िया है।

हर कीमत बेमान यहां है
बेशक जीना आसान यहां है

मौसम चुनाव का बड़ा जोर है
जिससे चौपाल में बड़ा शोर है

मेरे गाँव की .................

                        -    shman

#वो और #मैं #sadshayari #dardshayri #love .7





उसकी हँसी से हँसना,उसके रोने पर रोना आ जाता है,
बड़ी बात को बड़े अदब हँस हँस कहना आ जाता है।

उसका मेरा कोई रिश्ता नहीं न कभी भी होना है,
फिरभी रिश्तों को रिश्तों से रिश्तों तक पहुंचना आ जाता है।

मैं अपने तन मन जीवन से कुछ नही चाहता था हूँ।
निर्रथक जीवन को उसके खातिर कुछ करना आ जाता है।

मैने लिखकर पन्ने फाडे थे, कई रात की मेहनत के जो
अब हर कविता को चुन कर अच्छे से रखना आ जाता है।

मैं खुद से खुद पर लड़ कर अड़ा रहा हूं बरसो से
मुझको उसकी झूठी बातो के संग भी बहना आ जाता है।

वो भोली मुझ बुरे शमन संग भी बहुत हर्षिता है।
डरा नही हूँ बरसो से,फिर अब खुद पर डरना आ जाता है।
                     
            -    shman

#दोस्ती #friendshipshayari ......................... 6

मेरी दोस्ती का किस्सा अजीब है,
वो मेरी मोहब्बत से भी करीब है।

शिर्फ़ मेरी ही किस्मत नही अच्छी
सारी दुनिया उसकी रक़ीब है।
                        -शमन

मेरा गांव ..................... 5

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गांव में रहना, हवा सा बहना, अच्छा लगता है,
बेमतलब सा कुछ भी करना अच्छा लगता है।

तुमसे लड़ना ,गुस्सा करना , गाली खाना
और शिर्फ़ तुम्ही से बातें करना अच्छा लगत है

बेवजह दौड़ना गिर जाना, गिर कर उठना
और शमन को दौड़ते रहना अच्छा लगता है।

मैं व्यथा तृप्त हूँ बहुत समय से,और समय से हारा,
फिर भी लोगो को मेरा हस के देखना अच्छा लगता है।

न मैं अच्छा हूँ न किसी के किसी काम का हूँ।
फिर भी लोगों का मेरे संघ में चलना अच्छा लगता है।

उसकी बातों को बातो से कैसे बताएं
कहती है हम अच्छे हैं और अच्छा लगता है।

#natural #beuty click by me ...................4


#ईद #eed #sad shayri................3

न मिलने सा मिलना, दूरी सी दूर मिली
तन्हाई जो न मिलनी थी वो मुझको खूब मिली

 

लोग मिलते है जैसे अब की ईद 'शमन"
मुझको ऐसे ही सब दिन महबूब मिली
                           -shman