बारिश #barish .26






जैसे ही बारिस
की बूंदें हवा को चीरती है
चीखता है मन!
सनसनाहट सुनाई देने लगती है,
नशों की कानो में!
फिर कुछ ही देर में
ठंढी हवा झोका
मन स्थिर करता है।
टिप-टिपाहट की आवाज के साथ
पानी फिरी हुई
जिग्यासाओ पर
पड़ी मिट्टी को कुरेद कर
गड़े मुर्दे निकलती है ",बारिस"


सुरुआत में
कई बूंदे अपना अस्तित्व खोकर
अपनी पीढ़ी पालने का
हेतु बनती हैं
बूंदे मनुष्यता के कारण
मिलकर बहाव उत्पन्न करती है
बहती है उर्ध्व से निजता की वोर
जिसे भरता है गड्ढा
जिसके साथ कई यादें
पुराने घाव खोदकर निकले
मरे खून से मन को भरती है
भरती है आँखे
और फिर होती है ",बारिस"

याद तुझे फिर भी आऊँगा 25


































जलते जलते जल जाएगी 
याद तेरी फिर भी आएगी।

चलते चलते रह जाऊँगा।
याद तुझे फिर भी आऊंगा।

देश मे होली का मौसम
सरहद पर गोली का मौसम

पूण्य समय है अर्थ वीर का
देश की रक्षा करे नीड़ सा

असहनीय पीड़ा से बढ़ कर
डटे हुए सिमा पर लड़कर


अधम धधक पौरुष से अड़ कर
सरहद पर होली हो जाएगी।

जलते जलते जल.............

गली गोपचे रंग छा रहा
चुनाव भी नजदीक आ रहा

आने वाले सब आये है,
सब की इतने कब आए है।

गांव में मैं जब भी आया हूँ ।

साये के संग मिल पाया हूं।

जाति कुजाति एक संग है
मिल मिल कर मिल गए रंग है

लिए हुए रंग कोई प्यार का
जीत का कोई ले रहा मजा हार का

ऋतु बसन्त की हवा दीवानी,
हो भांग मिली इतनी मस्तानी।

ये संग मुझको भी ले जाएगी।
जलते जलते जल...........

मैं इठलाता बलखता सा
चल दिया तनिक किन्तु रुका सा

हर्षित मन में सोच रहा था।
सोच रहा वह पूर्व व्यथा थी

फिर उमंग की लहर दौड़ गयी,
ज्यों नदी पुराना खेत छोड़ गयी।

मैंने डाला रंग में अमीर,
बालो में रगड़ा थोड़ा समीर।

मैं दौड़ा जहां बैठी भौजी
ज्यादा प्यारी थोड़ी मन मौजी।

रंग उड़ाया मला गुलाल
मन मे न रह गया मलाल

स्मृति थी स्म्रति रह जायेगी।
जलते जलते जल............

घर मे मैं सबसे छोटा हूँ
छोटा की इतना छोटा हूँ

गलती में मैं ही होता हूँ,
गुस्से में ज्यादा हँसता हूँ।

फिर भी जो मुझे मिला है,
उसका मुझको सिर्फ गिला है।

जो मिला मुझे कोई मोल नही
अब मेरे जीवन मे और नही

हो गया हठी खुद ही खुदपर
नही विजय अपने ही मनपर

जो जोड़ा था उसका तोड़ नही
क्या जीत हार में हो पाएगी
जलते जलते..........

गांव के लोग और राजनीति .24

#1-मैं वहां बैठा था तो सुन रहा था
फलाना तुम्हारे बारे में बड़ा बुरा कह रहा था

कह रहा कि ये आदमी चाहे जितने बड़े हैं
इनकी औकात के तो मेरे सूखे पेड़ लगे हैं

मंझिलके की दुलहिनि तो इतना लड़ती हैं
अपने ही ससुर को राम विलास कहती है

अम्मा अलग है चूल्हे पे रोटी बनातीं है
बहू का भोग लगा के पोतो को खिलाती हैं

कोई दवा नही लाता ये अम्मा कहती है
बइचवा दुलहिन अब वैगनार से चलती है

बच्चों को बढ़ाना है ये पति को पढाती है
सीतापुर में ही रहना अब वीवी चाहती है

11 साल मंझिलके घर के मालिक रहे है
सबको पता है मुंशी घोटाला कर रहे है

3 महीने में छोटा, 6 महीने में बड़ा
मंझिलके ही झगड़ा करते है खड़ा

मैं ही पिट जाऊंगा मुंशी जानते है, इसलिए
बिचैलिये के बिना झगड़ा नही करते हैं

रिस्तेदार ही उनका सब कुछ बिगड़ते हैं
फिर उनके घर के मामा सुलह कराते है

दो चार झगड़ो में , मैं भी मौके से रह हूँ
पीटने की नौबत आई गाली खाके बचा हूँ

सो ज्यादा अच्छी भाइयों से बनती नही है
लगता तो सच है ये बात फलानी ने कही है


#2- पहली बार वै परधानी चुनाव लड़े थे
परधानी के चक्कर मे वे इतना पड़े थे

कुछ लोगन कहे मां वै अतना पड़े रहे
सब कहइ बैठि जाऊ वे तबहूँ खड़े रहे

चुनाव के पहिले दद्दा मैदान कर रहे
दिन मां वाटे मांगे राति मां गिन रहे

खउहा कुछ आकड़ा हैं ऐसे बताय रहे
जोड़ि-जाड़ी आधी मिली तबहूँ जीत पाय रहे

पछुआई हमारी सब,पुरबाई द्याखा जाई
दखिनै रिस्तेदार है, उत्तरई कि कहाँ जाई

परधानी तुमारि अबकी, कसम चाहे जहां खावाय लेउ
जान लगाय द्याब चाहे शङ्कर जी उठवाई लेउ

आज का काम एकु लेकिन बनवाई देउ
तनी चलेउ सनझिक लाल परी पियाय देउ

चुनाव भवा अपनि सब इहनक वांट दिहिनि
हमका सक है ई दोसरेक अपनि बेचि दिहिनि

जउनु नय होइ देयक रहै वहे होवाय दिहिनि
खड़े रहे हरावइ खातिर वहेक जिताय दिहिनि

हमारे प्रधान कुछ दिन मनरेगा के ठेकेदार रहे
जहां नाय झुकाइक रहइ वहे घुटना डारि रहे

खंभा पर लाइट कछु अइसन लगवाई रहे
इका उजेला तनिकउ न इनके वैसी जाय रहे

लैट्रीन,कालोनी और गल्ला उठाय रहे
अबकी से मनरेगा की तन्ख्वाहउ पाय रहे

हमका पता यो वाट बेचेक फायदा उठाया रहे
हमारि हारे परधान हमका चुतिया बनाय रहे
                                 -shman

तू ही तू.23

हूर भी तू ,मशहूर तू
पास भी तू, दूर भी तू
दवा भी तू ,दुआ भी तू
जख्म भी तू, नासूर भी तू
कई बरस से मुझ में बैठी
है दूर दूर से दूर भी तू

झूट भी तू सच भी तू
आज भी तू कल भी तू
तेरे सहारे बैठा मैं
रज रज के रज दे तू, या
कटे जिंदगी जिसके सहारे
बात आखिरी दस दे तू


रोना ये जिनको पढ़कर
क्यूं ऐसी बातें लिक्खे तू
बस तुझे पता है क्या है तू
मोहे हर जगह ही दिक्खे तू
-shman

मैं नही कहता लड़कियां गलत हैं 22

तेरे इश्क़ के फरमाने बहुत हैं
हम पे बीते जमाने बहुत हैं

हम तो बस तड़प कर रह गए
तूम को तो आंशू आने बहुत हैं

मैं ये नही कहता लड़कियां गलत हैं
टाइम पास के लिए याराने बहुत हैं
                 -shman

मैं न्यूज वाला हूँ चूतिया बनाता हूँ21


अखाड़े खुदवाये हैं पैतरा बताता हूँ
कार्यकर्ता लड़ें इसलिए नेता लड़ता हूँ
मुझको TRP की इतनी पड़ी है
अखाड़े के होस्ट को लड़की रखी है
जो फाड़ पाए मेरी या पास पैसा हो
मैं केवल उससे ही हमदर्दी जताता हूँ
सौ की सीधी बात एक सबको बताता हूं
मैं न्यूज़ वाला हूँ चूतिया बनाता हूँ

                            -shman

हम भी खराब चलते हैं20

1.हम थोड़ा वक्त के हिसाब से चलते हैं
जितना वो चलता है उससे ज्यादा हम खराब चलते हैं


2. वक्त की खैर छोड़ो अपने आप पे अड़ लिया जाय
जो होना है होगा जो नही होना है कर लिया जाय.


3.आजीब सिहरन है इश्क की भी।
औकात रोड पर आ जाती है आदमी की भी।

पलटते लोग बातो से
तड़पते लोग बातो से..

शायद जो ये है इस लिए मुझसे इश्क नही होता
कमियां मुह पर कहता और तारीफ नही करता

शायर 18

पता नही खुद को मैं ऐसा क्यों लगता हूँ
जब आईना देखता हूँ तो शायर स लगता हूँ

कई कई लोगों के! मेरी बात लगती है
और कई लोगो के तो मैं खुद लग जाता हूँ।
                       -  shman

कुछ शायरी17













पहली बार नही हर बार हुआ है
उसे हर तीसरे से प्यार हुआ है
बहुत लोग आए हैं इस आग चपेट में
शमन पहला नही जो बेजार हुआ है
मुझको भी उसी से प्यार हुआ है

                        - शमन




लोगों की जितनी बड़ी पूरी कहानी होती है ना
उतना बड़ा शिर्फ़ मेरा एक पल का किस्सा है।

लेकिन उसके कुछ पल की बातें इतना छू गयी
मेरी सारी जिंदगानी उसके एक पल का शिर्फ़ हिस्सा है।


                        -  shman



ये हालात पैदा करने वाले हाल पुछते है।
कैसे गुजरा पूरा एक साल पूछते है।
मैं हारा था जिस गलती से पिछली बार
वो फिर से मेरी अगली चाल पूछते है।

                       -शमन


मुझे गुस्सा आता नही है
आने के बाद जाता नही है

मैं परेशान हूं इस फितरत से
कोई इसे बदल पाता नही है।
           -शमन


जिसका कोई नही मैं उसके सर का ताज हूँ,
बीत गया था कल मैं फिर भी मैं आज हूँ,
अंदाज कोई कैसे लगाए बुनियाद शमन की
जब मैं सब कुछ कह दूं तब भी मैं राज हूँ।
                       -shman