तू मेरी न हो पाएगी हम तेरे ही रह जाएंगे। प्यार करेंगे तुमसे और तुमसे ही करते जाएंगे। दिन रात चलेंगे मंजिल को खुदको फिर रास्ते पर पाएंगे कभी हुआ कुछ ऐसा यदि हमें बिछड़ना पड़ जाता है! तुम मर मर के जी जाओगी हम जीते जी मर जायेंगे। |
तू मेरी न हो पाएगी हम तेरे ही रह जाएंगे। प्यार करेंगे तुमसे और तुमसे ही करते जाएंगे। दिन रात चलेंगे मंजिल को खुदको फिर रास्ते पर पाएंगे कभी हुआ कुछ ऐसा यदि हमें बिछड़ना पड़ जाता है! तुम मर मर के जी जाओगी हम जीते जी मर जायेंगे। |
मोहब्बत का दूसरा नाम दूरी है।
मुहब्बत से दूर रहना जरूरी है।
सब कुछ होने के बाद बिछड़ना होता है,सो मैंने ख़्वाईसे छोड़ी अधूरी हैं।
कुछ किरदार ऐसे है जिन्हें जीने लगा हूँ।
मैं उसे पाने से ज्यादा खोने लगा हूँ।
तुम्हे केवल मैं दिखता हूँ हँसता हुआ
दरासल अंदर से मैं अब रोने लगा हूँ।
घूट आँशुओँ के पीने की आदत क्या पड़ी
आज-कल मैं समंदर सा होने लगा हूँ।
एक हकीकत है धधकती आग सी
और मैं उस आग को छूने लगा हूँ।
बात कहने की आयी तो हम सब कहेंगे।
तब का तब कहा है अब का अब कहेगे।
चलो आज छोड़ते है कुछ अधूरी बातें
अगले जन्म मिलना तो बैठकर करेंगे।
हम बातें तुम्हारे अलावा किस्से करेगे।
तुम्हारे बिना हम ऐसे कब तक चलेंगे।
पेड़ नदी तालाब फूल और रास्ते मिलेंगे।
वो तुम्हारे बिना न जाने कैसे लगेगें।
हवा बदलेगी और ये बादल छटेगें
सब अपने अपने ख़ुदा की बाते करेंगे।
तुम्हरा जिक्र आ भी गया तो हम
ख़ुद को गलत,अपनी गलती कहेंगे।
अधूरी कहानी का किरदार हो जरूरी
तुम्हे अगली कहानी में पूरा करेंगे।
जिंदा रहना तो सिखा दिया है तुमने
अब ये भी तो बता दो कि कैसे जिएंगे।
न मालूम मैं क्या हूँन मालूम क्या करना हैकुछ पीछे से कहते हैंबर्बाद हुआ दिवाना हैसपनो की सय्या पर लेटेसपनो का ही कफ़न वोढकरमांग रहे सपनो की भिक्षासपने में ही हाथ जोड़करछोड़के हमको आधे सपनो मेंवो सपनो की रानी कहाँ चलीसपने में एक दिन जब मैं थासारी हक़ीक़त सामने थीअब किसको करना है बर्बादकहाँ तुम्हे अब जाना है।न मालूम मैं क्या.........…साम कहाँ होगी?क्या मतलब?सूरज ढलने तक चलना हैन मालूम........…..........
एक बीज जना था मिट्टी ने
पाला जिसको समझौतों नेआँख खोलकर चलना हैयह बता दिया था काँटों नेतान चदरिया सब सोते तबमैं उलचता पानी बरसातों मेंख्वाब के पीछे दिनभर भागेबस आँख लगी जब रातों में
देहाती आदमी हूँ 'साहब.......
न दब के रहता हूँ,न दबा के रखता हूँ,बात जो दिल में होती है,मुँह पर कहता हूं,जैसा बने चलो आप,मैं अपने हिसाब से चलता हूँ,
देहाती आदमी हूँ 'साहब.......
थोड़ी सी कमी है,जो ज्यादा सही है,नई लीक बना सकता हूँ,पर पुरानी भी गहरी नही है,आदमी भी थोड़ा हटके होता है,मन से नही मजबूरियों से चलता है,देहाती आदमी हूँ 'साहब.........
हर मायने में साथ थी वो
हमारे अपने के साथ थी वो
मैं अंधा हुआ प्यार में याखूबसूरत स्याह रात थी वो
बातों से बात क्या समझाऊंयार वाहः क्या बात थी वो
बर्बाद हुआ मैं और जिससेबस एक बात की बात थी वो
जिंदगी कट रही है बस तुझे सोचते
तू होती साथ तो कुछ बड़ा सोचतेबाहों में हमारी सांसे रुक गयी उसकीहम बचाने के तरीकों को रहे सोचतेपुण्य करने की सबको तब सूझतीमारने के बाद की जब जिंदगी सोचतेदिमाक पुरानी यादों में गुम रहता हैहम तुमसे मिलने की सोचते तो कैसे सोचते
हम अपनी बताएंगे तो लोग अपनी बताने लग जाएंगे
मुझे अपनी औकात बताते शायद जमाने लग जाएंगे1.एक सजर एक डगर
सर्द रात लम्बा सफर
2.शमन हर बात पे क्यों,हंसता निकल जाता हैसुने वो हर शख्स ,जो ये जानना चाहता है
उस दिन मेरे आँखों में आंशू भरे थे सोउसका चेहरा आज भी,धुंधला नजर आता है
3.जो सिर्फ अपने ही लिए अच्छा है।अच्छा भी है तो क्या अच्छा है।
4.फासला एक छलाँग का
फर्क धरती आसमान का