एक बीज जना था मिट्टी ने...........128


 एक बीज जना था मिट्टी ने

पाला जिसको समझौतों ने

आँख खोलकर चलना है
यह बता दिया था काँटों ने

तान चदरिया सब सोते तब
मैं उलचता पानी बरसातों में

ख्वाब के पीछे दिनभर भागे
बस आँख लगी जब रातों में

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