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एक बीज जना था मिट्टी ने पाला जिसको समझौतों ने आँख खोलकर चलना है यह बता दिया था काँटों ने तान चदरिया सब सोते तब मैं उलचता पानी बरसातों में ख्वाब के पीछे दिनभर भागे बस आँख लगी जब रातों में
एक बीज जना था मिट्टी ने
पाला जिसको समझौतों ने
आँख खोलकर चलना है
यह बता दिया था काँटों ने
तान चदरिया सब सोते तब
मैं उलचता पानी बरसातों में
ख्वाब के पीछे दिनभर भागे
बस आँख लगी जब रातों में
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