कुछ किरदार ऐसे है जिन्हें जीने लगा हूँ।
मैं उसे पाने से ज्यादा खोने लगा हूँ।
तुम्हे केवल मैं दिखता हूँ हँसता हुआ
दरासल अंदर से मैं अब रोने लगा हूँ।
घूट आँशुओँ के पीने की आदत क्या पड़ी
आज-कल मैं समंदर सा होने लगा हूँ।
एक हकीकत है धधकती आग सी
और मैं उस आग को छूने लगा हूँ।
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