बात कहने की आयी तो हम सब कहेंगे।..................131





 बात कहने की आयी तो हम सब कहेंगे।

तब का तब कहा है अब का अब कहेगे।


चलो आज छोड़ते है कुछ अधूरी बातें

अगले जन्म मिलना तो बैठकर करेंगे।


हम बातें तुम्हारे अलावा किस्से करेगे।

तुम्हारे बिना हम ऐसे कब तक चलेंगे।


पेड़ नदी तालाब फूल और रास्ते मिलेंगे।

वो तुम्हारे बिना न जाने कैसे लगेगें।


हवा बदलेगी और ये बादल छटेगें

सब अपने अपने ख़ुदा की बाते करेंगे।


तुम्हरा जिक्र आ भी गया तो हम

ख़ुद को गलत,अपनी गलती कहेंगे।


अधूरी कहानी का किरदार हो जरूरी 

तुम्हे अगली कहानी में पूरा करेंगे।


जिंदा रहना तो सिखा दिया है तुमने

अब ये भी तो बता दो कि कैसे जिएंगे।

जो मैं कहता हूं वो सब कहते नही है.................129




 जो मैं कहता हूं वो सब कहते नही है

मुझ जैसे आदमी ज्यादा जीते नही है

शायरी 10........................130






 पता नही क्या वो मुझसे प्यार करती है?

उसे मुझमें किसी और की तलाश रहती है।

न मालूम मैं क्या हूँ..................129

 




न मालूम मैं क्या हूँ 
न मालूम क्या करना है
कुछ पीछे से कहते हैं
बर्बाद हुआ दिवाना है
सपनो की सय्या पर लेटे
सपनो का ही कफ़न वोढकर
मांग रहे सपनो की भिक्षा
सपने में ही हाथ जोड़कर
छोड़के हमको आधे सपनो में
वो सपनो की रानी कहाँ चली
सपने में एक दिन जब मैं था
सारी हक़ीक़त सामने थी
अब किसको करना है बर्बाद
कहाँ तुम्हे अब जाना है।
न मालूम मैं क्या.........…
साम कहाँ होगी?क्या मतलब?
सूरज ढलने तक चलना है
न मालूम........…..........


एक बीज जना था मिट्टी ने...........128


 एक बीज जना था मिट्टी ने

पाला जिसको समझौतों ने

आँख खोलकर चलना है
यह बता दिया था काँटों ने

तान चदरिया सब सोते तब
मैं उलचता पानी बरसातों में

ख्वाब के पीछे दिनभर भागे
बस आँख लगी जब रातों में

देहाती आदमी हूँ 'साहब............127



 

 देहाती आदमी हूँ 'साहब.......

 

न दब के रहता हूँ,
न दबा के रखता हूँ,
बात जो दिल में होती है,
मुँह पर कहता हूं,
जैसा बने चलो आप,
मैं अपने हिसाब से चलता हूँ,

 

देहाती आदमी हूँ 'साहब.......

 

थोड़ी सी कमी है,
जो ज्यादा सही है,
नई लीक बना सकता हूँ,
पर पुरानी भी गहरी नही है,
आदमी भी थोड़ा हटके होता है,
मन से नही मजबूरियों से चलता है,

                 देहाती आदमी हूँ 'साहब.........

हर मायने में साथ थी वो.................126

 



हर मायने में साथ थी वो

हमारे अपने के साथ थी वो

 

मैं अंधा हुआ प्यार में या
खूबसूरत स्याह रात थी वो

 

बातों से बात क्या समझाऊं
यार वाहः क्या बात थी वो

 

बर्बाद हुआ मैं और जिससे
बस एक बात की बात थी वो

मुझे तुम्हारे बारे में तुमसे ज्यादा पता है,.................125

 



मुझे तुम्हारे बारे में तुमसे ज्यादा पता है,

तुम बताओ मेरे बारे में तुम्हें क्या पता है।

पन्नो पर लिखा बातों से मेल नही खाता
दिल मे रहते हो पर कहीं और का पता है


जिंदगी के बारे में मैं बस इतना जनता हूँ
ऊपर वाले ने लिखा है उसको सब पता है

जिंदगी कट रही है बस तुझे सोचते..................124



 जिंदगी कट रही है बस तुझे सोचते

तू होती साथ तो कुछ बड़ा सोचते

बाहों में हमारी सांसे रुक गयी उसकी
हम बचाने के तरीकों को रहे सोचते

पुण्य करने की सबको तब सूझती
मारने के बाद की जब जिंदगी सोचते

दिमाक पुरानी यादों में गुम रहता है
हम तुमसे मिलने की सोचते तो कैसे सोचते

हम अपनी बताएंगे तो लोग अपनी बताने लग जाएंगे.............123




 हम अपनी बताएंगे तो लोग अपनी बताने लग जाएंगे

मुझे अपनी औकात बताते शायद जमाने लग जाएंगे

हँस कर बोलना मजाक करना तो हमारी फितरत है
खुले दरवाजे का मतलब ऐरे-गैरे अंदर आने लग जाएंगे?


तुम ऊब गयी हो तो आजाद हो "मुझसे किनारा कर लो!
हम समंदर हैं हम खुद ही कैसे किनारा कर पायेगें

ये जो बहुत दिन से ठहरे हैं यहां ! कोई काम होगा
काम खत्म होते ही ये भी यहां से जाने लगे जाएंगे


मेरा अभी समय खराब है तो खो दिया है तुमको भी
समय आने दो तुम जैसे कई और नजराने लग जाएंगे


समय मिले तो आशुओं की कीमत लिख के रख लेना
सब भूलने पर लोग आकर हिसाब करवाने लग जाएंगे1

शायरी-9...................122


1.एक सजर एक डगर

सर्द रात लम्बा सफर








2.शमन हर बात पे क्यों,हंसता निकल जाता है
सुने वो हर शख्स ,जो ये जानना चाहता है

 

उस दिन मेरे आँखों में आंशू भरे थे सो
उसका चेहरा आज भी,धुंधला नजर आता है



 



3.जो सिर्फ अपने ही लिए अच्छा है।

अच्छा भी है तो क्या अच्छा है।



 





4.फासला एक छलाँग का 

 

   फर्क धरती आसमान का