इस बरस को तुम्हारे बिना जोड़े तो कितने लगते हैं।
सांसों के बिना हर सांस की कटी जिंदगी जैसे लगते हैं।
वही पुराने लोग वही पुरानी दुःखती बातें करते हैअब तुम ही समझ लो नए साल भी कैसे लगते है।
ये रवाईसे,पटाखे, मोमबत्तियां और ये हँसते लोगबस एक कमी है जिसके आगे सब फीके लगते हैं।
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