इस बरस को तुम्हारे बिना जोड़े तो कितने लगते हैं।.................116




 इस बरस को तुम्हारे बिना जोड़े तो कितने लगते हैं।

सांसों के बिना हर सांस की कटी जिंदगी जैसे लगते हैं।

 

वही पुराने लोग वही पुरानी दुःखती बातें करते है
अब तुम ही समझ लो नए साल भी कैसे लगते है।

 

ये रवाईसे,पटाखे, मोमबत्तियां और ये हँसते लोग
बस एक कमी है जिसके आगे सब फीके लगते हैं।

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