Twitter @satyam5776
आते जाते लोग सालभर और साल फिर कितने जाते हैं और एक साल अपना फिर खोया ख़ुशी से गम मनाते हैं कुछ रंजिस में भूले बैठे है कुछ ही रंजिस भूले बैठे हैं प्यार हमारा हार गया और हम खुद को जिता के बैठे हैं उनसे बाजी हार के बैठोगे जिनकी प्यार मोहब्बत भाषा है
आते जाते लोग सालभर और साल फिर कितने जाते हैं
और एक साल अपना फिर खोया ख़ुशी से गम मनाते हैं
कुछ रंजिस में भूले बैठे है कुछ ही रंजिस भूले बैठे हैं
प्यार हमारा हार गया और हम खुद को जिता के बैठे हैं
उनसे बाजी हार के बैठोगे जिनकी प्यार मोहब्बत भाषा है
No comments:
Post a Comment