आते जाते लोग सालभर और साल फिर कितने जाते हैं..................119



 आते जाते लोग सालभर और साल फिर कितने जाते हैं

और एक साल अपना फिर खोया ख़ुशी से गम मनाते हैं

 

कुछ रंजिस में भूले बैठे है कुछ ही रंजिस भूले बैठे हैं 
प्यार हमारा हार गया और हम खुद को जिता के बैठे हैं

 

उनसे बाजी हार के बैठोगे जिनकी प्यार मोहब्बत भाषा है

No comments:

Post a Comment