बात एक तुमसे कहे,बात तुम्हारी है
मेरी छोड़ो और कितनो से बात जारी है
यार हर बार गलत लोग मिलते हैअब मेरे भरोसे की भरोसे से हरी है
मुझसे जो किया था गर वही इश्क हैतो ये मुझसे नही इश्क से गद्दारी है
लखनऊ तो जल चुका है मेरे भाईऔर बताओ कल कहाँ की तैयारी है
ये जो आग बुझ गयी कुछ भी नहीआग जो अंदर है वो बहुत करारी है
सांच की आंच क्या है पता नहीऔर जोर तुम्हारी आवाज भारी है
शरणार्थी जब तक शरण में है ठीक हैफिर औकात पे लाना बहुत जरूरी है।
हर सिक्का खोटा है जीना भी दुःस्वरी हैन्याय मूर्ति है एक तरफ दूजे पर मक्कारी है
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