फलाना तुम्हारे बारे में बड़ा बुरा कह रहा था
कह रहा कि ये आदमी चाहे जितने बड़े हैं
इनकी औकात के तो मेरे सूखे पेड़ लगे हैं
मंझिलके की दुलहिनि तो इतना लड़ती हैं
अपने ही ससुर को राम विलास कहती है
अम्मा अलग है चूल्हे पे रोटी बनातीं है
बहू का भोग लगा के पोतो को खिलाती हैं
कोई दवा नही लाता ये अम्मा कहती है
बइचवा दुलहिन अब वैगनार से चलती है
बच्चों को बढ़ाना है ये पति को पढाती है
सीतापुर में ही रहना अब वीवी चाहती है
11 साल मंझिलके घर के मालिक रहे है
सबको पता है मुंशी घोटाला कर रहे है
3 महीने में छोटा, 6 महीने में बड़ा
मंझिलके ही झगड़ा करते है खड़ा
मैं ही पिट जाऊंगा मुंशी जानते है, इसलिए
बिचैलिये के बिना झगड़ा नही करते हैं
रिस्तेदार ही उनका सब कुछ बिगड़ते हैं
फिर उनके घर के मामा सुलह कराते है
दो चार झगड़ो में , मैं भी मौके से रह हूँ
पीटने की नौबत आई गाली खाके बचा हूँ
सो ज्यादा अच्छी भाइयों से बनती नही है
लगता तो सच है ये बात फलानी ने कही है
#2- पहली बार वै परधानी चुनाव लड़े थे
परधानी के चक्कर मे वे इतना पड़े थे
कुछ लोगन कहे मां वै अतना पड़े रहे
सब कहइ बैठि जाऊ वे तबहूँ खड़े रहे
चुनाव के पहिले दद्दा मैदान कर रहे
दिन मां वाटे मांगे राति मां गिन रहे
खउहा कुछ आकड़ा हैं ऐसे बताय रहे
जोड़ि-जाड़ी आधी मिली तबहूँ जीत पाय रहे
पछुआई हमारी सब,पुरबाई द्याखा जाई
दखिनै रिस्तेदार है, उत्तरई कि कहाँ जाई
परधानी तुमारि अबकी, कसम चाहे जहां खावाय लेउ
जान लगाय द्याब चाहे शङ्कर जी उठवाई लेउ
आज का काम एकु लेकिन बनवाई देउ
तनी चलेउ सनझिक लाल परी पियाय देउ
चुनाव भवा अपनि सब इहनक वांट दिहिनि
हमका सक है ई दोसरेक अपनि बेचि दिहिनि
जउनु नय होइ देयक रहै वहे होवाय दिहिनि
खड़े रहे हरावइ खातिर वहेक जिताय दिहिनि
हमारे प्रधान कुछ दिन मनरेगा के ठेकेदार रहे
जहां नाय झुकाइक रहइ वहे घुटना डारि रहे
खंभा पर लाइट कछु अइसन लगवाई रहे
इका उजेला तनिकउ न इनके वैसी जाय रहे
लैट्रीन,कालोनी और गल्ला उठाय रहे
अबकी से मनरेगा की तन्ख्वाहउ पाय रहे
हमका पता यो वाट बेचेक फायदा उठाया रहे
हमारि हारे परधान हमका चुतिया बनाय रहे
-shman