किया सब पर वो मन का तजुर्बा न मिला
खवाब जिसके देखे वो ख्वाब में न मिला
दिन पर दिन अधूरा पन बढ़ता जा रहा हैवो घुटन सी घुट कर मर जाने की होती हैबेमतलब कुछ अनचाहा कर जाने की होती हैनशें सिमट कर आंखों से बह जाने को होती हैंकुछ उल्टा सीधा कर जाने को मन करता हैबिना किसी की किसी पर खून खौलता रहता है.
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