वो तजुर्बा न मिला................101

 किया सब पर वो मन का तजुर्बा न मिला

खवाब जिसके देखे वो ख्वाब में न मिला

 

दिन पर दिन अधूरा पन बढ़ता जा रहा है
वो घुटन सी घुट कर मर जाने की होती है

बेमतलब कुछ अनचाहा कर जाने की होती है
नशें सिमट कर आंखों से बह जाने को होती हैं

कुछ उल्टा सीधा कर जाने को मन करता है
बिना किसी की किसी पर खून खौलता रहता है

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