आज फिर से याद आयी,
और मुस्कुराना पड़ गया।
पास थी तो था नही मैंअब मैं दीवाना बन गयाआज उसकी याद आयी,और मुस्कुराना पड़ गया।चल रही थी बात उसकी,बात चलते ही रुक गयी।कुछ बात थी जो नही कहना,वो बात अपनी कह गयी।शान्त में,एकांत में, था खड़ा,और मैं खड़ा ही रह गया।
फिर उसकी याद आयी,और मुस्कुराना पड़ गया।
वो हवा सी अनछुई थी,छूकर मुझको भी बह गई।कुछ न अपने साथ लायी,और यादें अपनी दे गयी।उसी याद को आज मुझको,फिर याद करना पड़ गया।
आज उसकी याद आयी,और मुस्कुराना पड़ गया।
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