खूब आये जिंदगी सवारने मेरी...........60

 खूब आये लोग जिंदगी सवारने मेरी

वो बिगड़े लोग बिगड़ी सवारने मेरी

 

हप्ते दो हप्ते कुछ दर्जन दिन टिके होंगे
चले गए पर दूर तक तो नही चले होंगे

 

धरती गरम और धूप भी कड़ी होगी
जब थोड़ी छाव की जरूरत पड़ी होगी

 

बंजर में अरमानो के पौधे लगाए होंगे।
वहाँ बंजर में पौधे जरूर मुरझाये होंगे।

 

मेरी दिल आँखें कैसे न छलक जाती।
हरे हो जाते ये अगर ज्यादा बह पाती।

 

गुजर गए जो आये जिंदगी गुजरने मेरी

         खूब आये लोग जिंदगी...............

 

No comments:

Post a Comment