कुछ दिए थे जल रहे
और कुछ जलने पड़े
भीगे थे कुछ प्रेम में जोचिड़चिड़ा कर जलने लगे
देखकर दूसरे की रोशनी कोआग से अपनी ही वो जलने लगे
कुछ की तिरछी धीमी लौकुछ की लौ धीमीं है खड़ी
एक दीपक शांत चिंतितकितना इसको जलना रवां है
जल रहा जो जन्म से हैन रोशनी है ना धुंआ है
ये दीपक बिना सोचेंजल रहे हैं बुझ रहे हैं
एक उम्र से एक चरागाजल रहा था जल रहा है
भाग्य में एसा लिखा कुछमिल रहा है टल रहा है
एक उम्र से एक चरागाजल रहा था जल रहा है
कुछ दिए एक दो घड़ी में
बुझ गए कुछ कुछ ही घड़ी में
कुछ जो अभी भी जल रहे थेबुझ ही जाना अगली घड़ी में
और हम यह देखते रहगए उस पल उस घड़ी में
रात बीती और थोड़ीसन्नाटा सा हो गयालोग सोये गांव मेंलोग खोये गांव में
कुछ लोग लोगों में खो गएबैठे हुए बस गांव में
और शमन कर दीपको कोबाद भी वो जल रहा है
एक उम्र से एक चरागाजल रहा था जल रहा है
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