एक परम्परा जो द्वेष युक्त
बस धर्म नाम की क्लेश युक्त
ले चले दूर से दूर दूर तकनिज क्रूरी ह्रदया भाव बसअगुणित मन की द्रगढ़ कहानीरच धर्म बने कुछ धर्म पुजारीकुछ बोल रहे जो मानव जाति केजुड़ गए सभी वो अधर्म नाम सेप्रथक हुए कुछ गांव गांव सेउतार दिए कुछ मौत घाट सेइंगित पीछे से कर रहे पुजारीव्यक्ति,जाति नर-नारी की,खीचते सीमा रेख भक्तअनुचर अनुदिश सब साक्ष्य युक्त..............................................adhuriiii!!!!!!!!!!!!!!
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