उसे अपनी फितरत इतना ही गुमान है,...................51

 अगर उसे अपनी फितरत इतना ही गुमान है,

तो मेरे पैरों के नीचे ये जमीन नही आसमान है।

 

तुम ने मुझे मुझको दिखाना छोड़ दिया 
तुम्हे नही पता कि मेरी शीशे की भी पहचान है।

 

तेरे घर रखी थी जिंदगी तूने वापस नही की
मुझे पहले नही पता था कि तू इतनी बेईमान है

 

मुझे किसी के भी दुःख दर्द देखने नही पड़ते,
अब खुदा मुझ पर शायद खुद ही मेहरबान है।

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