प्यार.............57

 उसके सोने से बाद सोता हूँ

जगने के पहले जग जाता हूँ

 

बड़े काम को उसमें खोकर
यूँ ही बेमतलब कर जाता हूँ

 


इससे पहले मैं ज्यादा सोता था
जब प्यार नही हुआ करता था

 

बिगड़ा मत समझो बस
कम सोता इसलिए टहलने जाता हूँ।

 

जो सोने पर नष्ट किया
उस समय पर पछतावा है।

 

ये प्यार भी तोड़ा
पहले क्यों न हो पाया है।

 

कई बार हंस कर मैं
खुद ही को झुठलाता हूँ।

 

वो सच्ची बातें फिर
मैं क्यों न समझा पाता हूँ।

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