1.साम तक चलने का समय था
मगर दोपहर में ही मेरी साम हो गयी।
वो जो कहानी कल सुरु होनी थीपर वो आज ही क्यों बदनाम हो गयी?
2.बात कुछ थी ही नही और लफड़े तैयार हो गए।जिनके लिए नौकरी छोड़ी वही बेरोजगार कह गए।
3.खुशी को खुशी और गम को गम समझते है,हम हम है फिर भी सब को हम समझते है।प्यार,नफ़रत,गुस्सा,साज़िस में सहेजी बात,बात न हो फिर भी बात को हम समझते हैं।
4.क्या है क्या बता रहा हूँक्या हूँ क्या दिखा रहा हूं।
मैं पागल भी नही हूँ,फिर ये क्यों बता रहा हूँ।
5.जिसका इन्तजार किया वो आया नही।औरवक्त का इंतजार मैने कभी किया नही।
6.उस इंसान के लब्जो की औकात न रही।हमारे बीच बात वही है पर वो बात न रही।किताबों में सिमटी रह गयी सीता,अहिल्याअब इन औरतों में इनकी ही जात न रही।
7.ऐसे न दिल तोड़ कर जाओ मेरे भी अरमान सुन लोतुम जान हो मेरी ये मेरी जान सुन लोखुद दिल से निकलकर तुम रिहा हो रही होया किसी के कहने पर तुम मुझसे जुदा हो रही हो
8.हम भी इसी शहर में दर्द की दुकान खोल बैठे है,यहाँ तो लोग मुहब्बत में ही दर्द दिया करते है,क्या करें,ये मुँह से धुँआ उड़ान मेरा शौक नही हैवो धुआँ हुई और धुँए में उसके चेहरे दिखाई देते हैं
9.बड़े दिनों तक मैने भी खुद को खुदा समझा हैबिछड़े थे कई बार पर अबकी जुदा समझा हैपता नही किस बात का अहंकार हुआ थाजुदाई हुई तो असली खुद्दारी का पता समझ है
10.समंदर को भी पानी की प्यास जारी हैमेरी अपनो में अपनों की तलाश जारी हैवो मुझे ही मिले ऐसा कोई जरूरी नहीजब मिले खुश मिले यही आश जारी है
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