शमन मुझे पसंद है......160



पसीने में भीगी हुई वो

रात में जागी हुई वो

किसी के लिए

दुआ में माँगी हुई वो

शमन मुझे पसंद है

.......

मुझको देखती हुई वो

मुझको रोकती हुई वो

मुझको टोकती हुई वो

बेमतलब सब कुछ

यूँ ही फेंकती हुई वो

शमन मुझे पसन्द है ......


राह चलती हुई वो

बात करती हुई वो

बात बात पे, बिना बात के

चिढ़ती हुई वो

शमन मुझे पसन्द है......


उसे घूमना पसंद है

मुझे घूमती हुई वो

उसे तैयार होना पसन्द है

मुझे तैयार होती हुई वो

उसे चेहरे पर जुल्फ लटकाना पसंद है

मझे जुल्फ लटकाए हुए वो

पसंद है.....


उसको बात बात पे मुँह बनाना पसन्द है

मुझे मुँह बनाते हुए वो

उसे गोलगप्पे खाना पसन्द है

मुझे गोलगप्पे खाते हुए वो

उसे गाना पसन्द है

मुझे गाते हुए वो

पसन्द है....


उसे गुस्सा करना पसन्द है

मुझे गुस्सा करती हुई वो

जब कभी वो डर जाती है

तो डरी हुई वो

उसे खेलना पसंद है

मुझे खेलती हुई वो

उसे काम करना पसन्द है

मुझे काम करती हुई वो

उसे बारिस में भीगने पसन्द है

मुझे भीगती हुई वो

पसन्द है.....


उसे काजल लगाना पसंद है

मुझे काजल लगाए हुए वो

उसे शॉर्टस पसन्द है

मुझे पहने हुए वो

पसन्द है.....

 .

महंगा पड़ा देर कर देना.......158




सब कुछ मजाक में लेना
किसी से कुछ कहना हो
उस बात को भी भूल जाना
देर से जगना देर से सोना
हर बात सहम कर देर से कहना
कुछ कुछ कहना कुछ न कहना
जिससे बातों का घुटकर रह जाना
महंगा पड़ा देर कर देना


सिर्फ आज का सोचा
या कल के बाद का सोचा
कल क्या भूल रहा था मैं
शमन" थोड़ा दे से सोचा 
ये सोच कहाँ रुक जाए
और दिल को कहाँ से चलना
महंगा पड़ा देर कर देना


न फेल हुआ मैं
न गाड़ी छूटी मेरी
न एक्सीडेंट बचा मेरा
न टूटा ख्वाब रचा मेरा
ये देर से पहुंचना मंजिल पर
सारा जीवन बंजारा कर देगा
क्या शौक बचे है मेरे
आँख मूंद कर रो लेना
पैर फैलाकर सो जाना
महंगा पड़ा देर कर देना


वो न जाने कितना जाड़ा पड़ा
बदल रोये और कोहरा भी पड़ा
फिर सूखे इस तरह से ताल भी
शमन" समन्दर था जिसमे सूखा पड़ा
महंगा पड़ा उसका जल्दी चले जाना
महंगा पड़ा बादल देर से आना
बहुत कुछ से फर्क नही पड़ता पर अबकी
महंगा पड़ा देर कर देना
वहुत महंगा पड़ा देर कर देना
बहुत...........



गले लगना है मुझे कसके तुम्हें....... 157




 

शमन तुमसे बिछड़ना भी नही है
जीते जी तुम्हारा होना भी नही है।

मेरे सपने में भी तू आये
और मुझे सोना भी नही है।

कोई मेरा दर्द बाँट ले पास बैठकर
और मुझे रोना नही भी है।

फिर क्यों खेलते है लोग
जबकि शमन कोई खिलौना भी नही है।

गले लगना है मुझे कसके तुम्हें
गैर हो तुम्हे हाथ से भी छूना भी नही है।