खुद पर एक कहानी बनाएं
हो,अलाप कम ज्यादा अदायें
जिसमें बोलता न हो कोई
तीखा सा तो बिल्कुल नही
न हुआ जो चाह कर भी
उसको उसमें कर दिखायें
और दिखायें प्यार को,सम्मान को
दया,द्रष्टी,ध्यान को स्वाभिमान को
बनाये अग्रजों हेतु राह को
बनाई राह से फिर कांटे हटाये
हटे न काटें रास्तो से अगर तो
काँटो पर फिर पलके बिछाये
गुम रहा हूँ मैं जहां में
खुद को वहां का खोजी बताये
बतायें हम रहे है भीजते
बताएं तुमको रहे है सींचते
बताएं अपने सारे कष्ट को
और बताएं भारत के ध्रतराष्ट्र को
करें जाग जाने का आह्वान सबसे
और भी बतायें अंधो में चौहान सबसे
वह हुआ जो सारा बताएं
बिल्कुल हुआ वैसा बतायें
हर सदी के राज खोले
अनकही सब बात बोले
बतायें सिकंदर वाली बात को
हर जात की उस मात को
बतायें हम बैठे रहै घरों में
बताएं
हर तरफ से आयें हवाएं
मेरा पता न मुझको बताएं
खुद पर एक कहानी बनाएं.......156
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