आज दर्द के इजाफे में कोई इजात कर रहा है
आज आँख फड़क रही है कोई याद कर रहा है
ना मुझे ना मेरी बात को करने दिया कभीआज कई दिन से वही तो मेरी बात कर रहा है,
मुझ पर हुए हर जुल्म का गुनहगार वही है जोआज वही मेरे केश की तहकीकात कर रहा है
गुलाम करवाया था मुझे आजाद करने के लिएअजीब सियासत है वो मुझे आजाद कर रहा है
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