न तू जिंदगी में न जिंदगी का कोई ठिकाना रहा
न खत न खतों का वो अलमारी में छुपाना रहा
मेरे पास यादों को दोहराने के सिवा कुछ भी नहीअलमारी में सिगरेट छुपाने के सिवा कुछ भी नहीजी तो रहा हूँ अब भी,पर कभी तेरे साथ जिंदा थे,यार जिंदगी तेरे साथ जीने के सिवा कुछ भी नहीऐन बारिश में पिजड़े से रिहा किया गया हूँ मैंन नीड़ मिला,न पिजड़े सा भी कोई आसियान रहान तो जिंदगी में न ......................
No comments:
Post a Comment