बेवक्त..........56


 

 हमारे वक्त में तुम बेवक्त निकले,

तुम नफरत में भी शिकस्त निकले

 

यही बात है कि तुम कही और
हम कही और बेवजह, बेवक्त मिले।

 

मैं रास्ते पर अब भी वही बैठा हूँ।
जहां से तुम मंजिल पर अकेले निकले।

 

नाकाम होकर गुजरे भी वहीं से
मर न पाए और वो इतने बेशर्म निकले

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