मैंने ही मोहब्बत की थी






 








मैने भी मोहब्बत की थी

मैंने ही मोहब्बत की थी

जहां जिंदा रहना फजूल था
ऐसी मैंने पूरी जिंदगी जी थी

मुँह से कटारें थी निकल रही 'तब
मैंने कलम भी जेब मे रख ली थी।

औरत रोने से घर ढह जाते है,
देख लोगो ने आंशू लड़ाई की थी।

मर्द रोते है,तो क्यों भनक तक नही होती
इस पर किसी ने बात तक नही की थी।