वो ज़ुल्फ़ झटक कर घूमी .....152

 



कभी हँस के कभी गा कर|

कभी रो रो के गुजारा किया|

बीच मे हैं इस लिये कि
हमने किनारों से किनारा किया|

 

वो ज़ुल्फ़ झटक कर घूमी और
फिर उसने नजरो से इशारा किया|

 

मैं होठो के लब्जो से था बंधा,पर
दिल मेरा दिल से पुकारा किया|

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