मेरी गैरत...........79

 मेरी गैरत भी यह गवारा नही करती है

आज कल मुझ पर मेरी कहाँ चलती है

 

मुश्किल है तो थोड़ा झुक के देखते हैं
तुम चलो हम यहाँ थोड़ा रूक के देखते है

 

हमारी मजबूरियाँ ये मुझसे क्यों पूंछती है
वो जब मेरे बारे में मुझसे ज्यादा जानती है

 

मेरा सफर कभी मंजिल के लिए नही था
फिर मंजिलें पता मुझसे ही क्यों पूछती है

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