मेरी गैरत भी यह गवारा नही करती है
आज कल मुझ पर मेरी कहाँ चलती है
मुश्किल है तो थोड़ा झुक के देखते हैंतुम चलो हम यहाँ थोड़ा रूक के देखते है
हमारी मजबूरियाँ ये मुझसे क्यों पूंछती हैवो जब मेरे बारे में मुझसे ज्यादा जानती है
मेरा सफर कभी मंजिल के लिए नही थाफिर मंजिलें पता मुझसे ही क्यों पूछती है
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