मैं खुद में ही खुद से छिपकर बैठा हूँ
हाँ मैं अपनो से अनजाना सा रहता हूँ
तुम याद दिलाओ न मुझको मेरी अबहाँ अब मैं सब कुछ भूलना चाहता हूँ
अंतरमन से मैं अच्छे से भर जाऊँगामर मरकर पिछला पूरा मर जाऊँगा
खुद ही आवाज लगाकर अन्तः सेखुद उठकर खुद से बाहर आ जाऊंगाअब मैं पूरी कोई बात नही कर पाऊँगाहाँ क्योकिं मैं अब मर जाना चाहता हूँ
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