मैं परेशान....................81

 मैं खुद में ही खुद से छिपकर बैठा हूँ

हाँ मैं अपनो से अनजाना सा रहता हूँ

 

तुम याद दिलाओ न मुझको मेरी अब
हाँ अब मैं सब कुछ भूलना चाहता हूँ


अंतरमन से मैं अच्छे से भर जाऊँगा
मर मरकर पिछला पूरा मर जाऊँगा

 

खुद ही आवाज लगाकर अन्तः से
खुद उठकर खुद से बाहर आ जाऊंगा

अब मैं पूरी कोई बात नही कर पाऊँगा
हाँ क्योकिं मैं अब मर जाना चाहता हूँ

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