शायरी-7..............75

 1.लाशों पर बुनियाद रखकर हस्ती नही बनाऊंगा


भूखा मर जाऊंगा पर पेड़ काट कर कस्ती नही बनाऊंगा 


 


2.ना दायरे कम है ना बुलंदियां कम जमीन पर 
गिरेबाँ तक वही पहुंचे जो कभी थे आस्तीन पर

 

बड़े दिनों के बाद ज़मीन पर बैठा हूँ आज
यहां से भी अपनी औकात है बहुत हसीन पर


 

3.सिर्फ भीगने से गीले नही होते
कुछ बारिशें अपना रंग छोड़ती हैं


 


4.दरम्यां फासले होते तो फर्क न ही पड़ता
नजदीक बढ़े तो जमाने का असर बढ़ता गया

 

मैं रास्तों में मजा लेते बेझिझक बढ़ता गया
तू बढ़ा तो मुझ पर काटों का असर बढ़ता गया


 

5.न तुमने सुना न मुझे कह पाना आया
बस जगे ही और साम को होना आया

 

मेरी आँखों मे किसी और आंशू आये
तेरी बातों में किसी और का रोना आया


 

6जंगल तो बहुत मिले, मगर मुझ सा वन नही आया

मौसम तो वही फिर आये,पर वो सावन नही आया


 


7.नींव पुरानी सीधी है पर
ये दीवार तिरछी हो रही

 

यह करने वाले कहते
ये बात अच्छी हो रही है?


 

8.भूल भी जाओ तो तुम सामने मत आना 
सामने से तुम मेरा समना नही कर सकते


 

9.मैं आसमान हूँ यहाँ तक कोई परिंदा नही आया
मेरे अरमान अधूरे है यहाँ कोई जिंदा नही आया


 

10,ये मोहब्बत फिर ये हिज्र का मंजर
प्यार की बातें फिर बात का कंजर


 


11.किसी ने कहा प्यार में सब करना जायज है
दुनियाँ की नज़रों में गिर जाना भी जायज है

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