नही करना था वो काम कराये जा रही हो।...............1

नही करना था वो काम कराये जा रही हो।
बारूद को चिंगारियां दिखाये जा रही हो।

एक अर्से से तुम्हारे लिए खामोश रुके है
आप हो कि देख कर भी चली जा रही हो।

वो एक तलाश जो तुम पर खत्म होनी थी,
आप मृग तृस्ना को और बढ़ाये जा रही हो।

मेरा फैसला होना था तुम्हारी सरकार में
आप हैं कि हर बार तारीख बढाये जा रही हो।

फर्क नही पड़ता मेरी अनकही बातों का
तुम सरकार सा खुद को चलाये जा रही हो

मेरी अनकही बातों को दबाने के लिए
तुम्हें पता भी है तुम क्या क्या कहे जा रही हो।

हर बार यूँ ही बेवजह मुस्कुरा कर आप
मुझे और भी अपने पास बुलाये जा रही हो।

बरसो मैंने खुद से भी बांतें नही की है,
अब बात मत करना कह के डराये जा रही हो।

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