मैंने सच बोल कर हंस दिया,
वे झूठ बोलकर रोने लगे।
मेरी नज़रो में जमाने की तरह
वो भी अपना ऐतबार खोने लगे।
वे झूठ बोलकर रोने लगे।
मेरी नज़रो में जमाने की तरह
वो भी अपना ऐतबार खोने लगे।
वो भी अपना ऐतबार खोने लगे।
नही करना था वो काम कराये जा रही हो।बारूद को चिंगारियां दिखाये जा रही हो।एक अर्से से तुम्हारे लिए खामोश रुके हैआप हो कि देख कर भी चली जा रही हो।वो एक तलाश जो तुम पर खत्म होनी थी,आप मृग तृस्ना को और बढ़ाये जा रही हो।मेरा फैसला होना था तुम्हारी सरकार मेंआप हैं कि हर बार तारीख बढाये जा रही हो।फर्क नही पड़ता मेरी अनकही बातों कातुम सरकार सा खुद को चलाये जा रही होमेरी अनकही बातों को दबाने के लिएतुम्हें पता भी है तुम क्या क्या कहे जा रही हो।हर बार यूँ ही बेवजह मुस्कुरा कर आपमुझे और भी अपने पास बुलाये जा रही हो।बरसो मैंने खुद से भी बांतें नही की है,अब बात मत करना कह के डराये जा रही हो।